दरअसल, विधानसभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष एचके पाटिल ने आरोप लगाया है कि कोविड-19 के लिए निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीइ) किट और अन्य मेडिकल उपकरणों की खरीद में भ्रष्टाचार हुआ है। पाटिल ने इस संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग से रिपोर्ट भी तलब की है। पिछले 28 मई को समिति के सदस्य विभिन्न क्वारंटाइन केंद्रों और कोविड-19 अस्पतालों में जाकर यह सत्यापित करने वाले थे कि जो डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी वहां ड्यूटी पर तैनात हैं उन्हें किस तरह के सुरक्षा उपकरण प्रदान किए गए हैं। लेकिन, कागेरी ने 27 मई को एक आदेश जारी कर कोविड-19 महामारी के मद्देनजर किसी भी फील्ड विजिट अथवा बैठक पर रोक लगा दी। पाटिल ने आरोप लगाया कि सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की शिकायतों की जांच पर पीएसी के संवैधानिक कर्तव्य निभाने से बाधित किया गया।
यहां शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए पाटिल ने कहा कि सवाल यह है कि विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाएं अथवा नहीं लाएं। इस पर आगामी 2 जून की पीएसी की बैठक में निर्णय किया जाएगा। विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी के आदेश पर आपत्ति जताते हुए पाटिल ने कहा कि आज तक पीएसी के काम काज में रुकावट डालने की कोई कोशिश नहीं हुई। विधानसभा अध्यक्ष का आदेश विधायिका के कर्तव्यों के पालन में बाधा बना है। पीएसी को कथित अनियमितताओं के संबंध में निरीक्षण करने की अनुमति नहीं दी गई। यह पीएसी के कर्तव्यों और अधिकारों का उल्लंघन है।
दरअसल, ये उपकरण कर्नाटक ड्रग लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन द्वारा पिछले कुछ महीनों के दौरान खरीदे गए थे, जब पूरे देश में लॉकडाउन था। पीएसी को मिली शिकायतों का दावा किया गया है कि कुछ सुरक्षा उपकरण तीन गुणा अधिक कीमत पर खरीदे गए। वहीं, कुछ लोगों का दावा है कि इन उपकरणों की गुणवत्ता काफी निम्न श्रेणी की है। पाटिल ने कहा कि वेंटीलेटर के लिए कितनी कीमत अदा की गई? किस कीमत पर मास्क और सैनिटाइजर खरीदे गए? इसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री बी.श्रीरामुलू को चुनौती दी कि इन खर्चों का विवरण सार्वजनिक करें। रमेश जारकीहोली के उस दावे पर कि इसमें कोई घोटाला नहीं हुआ है पाटिल ने कहा कि इसलिए पीएसी इसका जांच करना चाहती है। यह कांग्रेस नहीं पीएसी की जांच है।