प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन (पीएचएएनए) के अध्यक्ष डॉ. एम. एम. प्रसन्ना ने बताया कि गत वर्ष निजी अस्पतालों ने 25 फीसदी बिस्तर सरकारी मरीजों के लिए आरक्षित किए थे। 20 फीसदी बिस्तरों का ही इस्तेमाल हो सका। शेष बिस्तर रिक्त रहे और अस्पताल संचालकों को नुकसान उठाना पड़ा। निजी अस्पताल संघ बिस्तरों की संख्या कम करने के बारे में जल्द ही सरकार को पत्र लिखेगा।
डॉ. प्रसन्ना ने कहा कि सरकार ने इस बार 50 फीसदी बिस्तर मांगे हैं। जो करीब 30 हजार बिस्तर हैं। इतने बिस्तरों की जरूरत नहीं है। कुछ शहरों सहित सात या आठ जिलों में ही मामले बढ़े हैं। अन्य जिलों में बिस्तरों की मांग नहीं है। सरकार को चाहिए कि बिस्तरों की व्यवस्था वह जिलाधिकारियों पर छोड़ दे।
उदाहरण के लिए मैसूरु जिले में रविवार को 277 नए मामले आए। 1,904 मरीजों का उपचार जारी है। निजी व सरकारी अस्पतालों में कुल 3,500 बिस्तर हैं।