
बेंगलूरु. कोरोना महामारी के कारण विद्यार्थी संगठनों ने राज्य सरकार से बारहवीं (पीयूसी) परीक्षा रद्द करने की मांग की है। इनके अनुसार मौजूदा स्थिति में परीक्षा का आयोजन जोखिम भरा हो सकता है। राज्य में बीते कुछ दिनों से कोविड के मामले घटने के बाद भी खतरा टला नहीं है। प्रतिदिन कोविड के सैकड़ों मरीजों की मौत हो रही है। विद्यार्थियों के अनुसार ऑनलाइन कक्षाएं प्रभावी नहीं रही हैं। कई विद्यार्थी परीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं।
प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस. सुरेश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद स्थिति की समीक्षा होगी। रिपोर्ट के आधार पर ही परीक्षा के आयोजन संबंधित निर्णय लेंगे। निर्णय के दौरान विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का ध्यान भी रखा जाएगा।
परीक्षा को लेकर कई विद्यार्थी चिंतित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों के अनुसार महामारी के दौरान उनके लिए परीक्षा केंद्रों तक की यात्रा आसान नहीं होगी। संक्रमण का खतरा रहेगा। कोविड होने पर उनके क्षेत्र में उपचार सुविधाओं का भी अभाव है।
धारवाड़ जिले के एक विद्यार्थी ने बताया कि गांव में मरीजों की संख्या बढ़ी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंद होने से लोग परेशान हैं। सबसे नजदीक स्वास्थ्य केंद्र करीब दो किलोमीटर दूर है। कोविड जांच के लिए शहर जाना पड़ता है।
बेंगलूरु शहर के एक विद्यार्थी के अनुसार कुछ विषय पूरे हुए और कुछ नहीं। जो पूरे हुए, उसे समझने में दिक्कत हुई। ऑनलाइन शिक्षा की अपनी सीमाएं हैं।
ऑल इंडिया डेमोके्रटिक स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन के सचिव अजय कामत ने कहा कि कोरोना वायरस का संक्रमण गांव-गांव पहुंच चुका है। कोरोना की रफ्तार लगभग थमने के बाद ही परीक्षा का आयोजन संभव है। परीक्षा से पहले ऑफलाइन कक्षाएं होनी चाहिए। कोरोना की तीसरी लहर की संभावना भी है। ऐसे में ऑफलाइन कक्षा और परीक्षा मुसीबत मोल लेने जैसा है।
उन्होंने कहा कि आइसीएसइ और सीबीएसइ की परीक्षाएं रद्द हो चुकी हैं। राज्य बोर्ड के विद्यार्थी अगर परीक्षा देते हैं तो यह अन्याय होगा। कर्नाटक विद्यार्थी संगठन ने भी परीक्षा रद्द करने की मांग की है।
Published on:
03 Jun 2021 06:39 pm
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