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कोरोना से निपटने दक्षिण कोरिया मॉडल अपनाने की तैयारी

locationबैंगलोरPublished: Mar 30, 2020 11:52:07 am

Submitted by:

Rajeev Mishra

त्वरित जांच के लिए खरीदे जाएंगे एक लाख किट

Coronavirus in mp : coronavirus positive three case in gwalior

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बेंगलूरु.
कोरोना महामारी पर प्रभावी अंकुश के लिए राज्य सरकार दक्षिण कोरियाई मॉडल अपनाएगी और बड़े पैमाने पर संदिग्धों की त्वरित जांच की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार एंटीबॉडी आधारित एक लाख किट खरीदने की तैयारी कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक यह किट एक सिंगापुर आधारित कंपनी द्वारा तैयार किया गया है। इसकी लागत प्रति किट 800 रुपए है जो कि वर्तमान जांच प्रणाली में आने वाली लागत 2500 रुपए प्रति टेस्ट से काफी कम है। इस जांच प्रणाली में रोगी की अंगुली पर एक पिन चुभाकर रक्त के नमूने लिए जाएंगे और कुछ ही देर में परिणाम सामने आ जाएगा। राज्य में कोविड-19 जांच के नोडल अधिकारी और जयदेवा इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ सीएन मंजुनाथ ने बताया कि यह किट पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) द्वारा मान्यता प्राप्त कंपनी से खरीदा जाएगा। यह किट 15 मिनट पर परिणाम दे देगा। उन्होंने कहा कि इस किट का उपयोग यूरोप, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों में हुआ है और परिणाम अच्छा रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर इस किट का जांच परिणाम निगेटिव रहता है तो उस रोगी की आगे कोई जांच नहीं की जाएगी। लेकिन, अगर रक्त के नमूने पॉजिटिव पाए जाते हैं तो फिर प्रयोगशाला में उसकी जांच की जाएगी। यह प्रणाली दक्षिण कोरिया में काफी कारगर रही। दक्षिण कोरिया ने इस प्रणाली के जिरए कोरोना महामारी की व्यापकता और बोझ को तुरंत समझ लिया। अगर वे पारंपरिक प्रणाली पर चलते तो अभी तक अधिकांश मामलों का पता नहीं चलता और कई छुपे हुए मामले देर से सामने आते। पूरे विश्व में दक्षिण कोरियाई प्रणाली की सराहना हो रही है जो बिना सामान्य जन-जीवन पर व्यापक असर डाले इससे लडऩे में सक्षम रहे। औसतन उन्होंने हर दिन 18 हजार जांच किए और मामलों का पता लगाने में कामयाब हुए।
उन्होंने बताया कि अभी तक राज्य में केवल 3 हजार 170 जांच ही हुए हैं और राज्य सरकार को अभी यह त्वरित जांच प्रोटोकॉल लागू करना है। फिलहाल जो जांच हो रहे हैं वह पोलिमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) पर आधारित है और इस जांच का परिणाम 24 घंटे में मिलता है। त्वरित जांच किट के जरिए इसका पता एक घंटे के भीतर चल जाएगा। हालांकि, इससे निश्चित तौर पर यह पता नहीं चलता कि रोगी कोरोना से ग्रसित है या नहीं लेकिन संकेत जरूर मिल जाते हैं।
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