संवाददाताओं से बात करते हुए शील ने कहा कि स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र क्षेत्र में बेहतर करने वाले राज्यों की सूची में कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, मणिपुर और केरल अग्रणी हैं। उन्होंने कहा कि इसी वर्ष अप्रैल से आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में मौजूदा सेवाओं के अतिरिक्त बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल, बुजुर्गों और उपशामक स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की अतिरिक्त सेवाएं शुरू करने की योजना है। 14 अप्रैल को आयुष्मान भारत के दूसरे वर्षगांठ पर सेवाओं के विस्तार करने की योजना है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 तक केंद्र सरकार ने कर्नाटक के लिए 3339 एबी-एचडब्ल्यूसी (Health & Wellness Centres) स्वीकृत किया है। इनमें से कर्नाटक के 30 जिलों में फिलहाल 1930 एचडब्ल्यूसी का संचालन हो रहा है। 1930 में से 877 उप केंद्र-एचडब्ल्यूसी, 717 पीएचसी-एचडब्ल्यूसी और 364 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-एचडब्ल्यूसी हैं। अप्रेल 2018 में लांच के बाद से 14 फरवरी तक तक 59 लाख लोग इन केंद्रों तक पहुंचे हैं। 87 हजार लोगों को उच्च रक्तचाप व 95 हजार लोगों को मधुमेह के लिए जांचा गया है। जबकि दो लाख से ज्यादा लोगों ने मुंह के कैंसर की जांच करवाई। 36 हजार महिलाओं को स्तन कैंसर व 12 हजार से ज्यादा महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के लिए जांचा गया। 40 हजार से ज्यादा योग सत्रों को आयोजन हुआ।
वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंत तक कर्नाटक के 1684 पीएचसी सहित तीन उच्च प्राथमिकता वाले जिले व तीन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जानजाति आबादी वाले जिले के 1307 स्वास्थ्य उप केंद्रों (एचएससी) को एचडब्ल्यूसी के रूप में उन्नत किया जाएगा। जबकि अतिरिक्त 3301 एचडब्ल्यूसी का संचालन शुरू हो जाएगा।
स्कूल स्वास्थ्य राजदूत पहल
शील ने बताया कि आयुष्मान भारत के एक अंग के रूप में केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय व स्वास्थ्य मंत्रालय ने 12 फरवरी को स्कूल स्वास्थ्य राजदूत पहल शुरू की है। बच्चों के स्वास्थ्य में समग्र विकास के लिए इस कार्यक्रम को सही खाओ अभियान, फिट इंडिया मूवमेंट और पोषण अभियान जैसे अन्य पहलों से जोड़ा जाएगा। इस कार्यक्रम में प्रत्येक सरकारी स्कूल से दो शिक्षक हेल्थ एंड वेलनेस राजदूत के रूप में चुने जाएंगे। इनका काम विभिन्न बीमारियों से बचाव के उपयों के बारे में जानकारी फैलाना होगा।