scriptमहादयी पंचाट को नहीं मिले तीसरा कार्यकाल विस्तार | Karnataka to oppose Goa move to seek extension of Mahadayi tribunal | Patrika News

महादयी पंचाट को नहीं मिले तीसरा कार्यकाल विस्तार

locationबैंगलोरPublished: Feb 09, 2018 06:14:08 pm

राज्य सरकार ने ठुकराया गोवा का प्रस्ताव विधानमंडल के सदन नेताओं की बैठक के बाद सरकार ने किया फैसला

mahadayi
बेंगलूरु. महादयी नदी जल बंटवारा विवाद में गठित महादयी पंचाट का कार्यकाल बढ़ाने के गोवा सरकार को प्रस्ताव को कर्नाटक ने खारिज कर दिया है। राज्य सरकार ने कहा कि केंद्र की ओर से गठित पंचाट का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाने के बजाय उसे २० अगस्त तक जनाकांक्षाओं के मुताबिक इस विवाद को सुलझाना चाहिए।
मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने गुरुवार को यहां महादयी मसले पर चर्चा के लिए विधानमंडल के सदन के नेताओं की बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पंचाट को 6 फरवरी से प्रकरण की सुनवाई शुरू कर देनी चाहिए थी। लेकिन उस दिन पंचाट के सामने पेश हुए गोवा के वकीलों ने पंचाट का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। इस बारे में कर्नाटक के वकीलों की राय पूछने पर उन्होंने राज्य सरकार से सलाह के बाद ही राय पेश करने को कह दिया।
उन्होंने कहा कि महादयी पंचाट का गठन अंतर राज्य जल विवाद अधिनियम 156 के तहत 16 नवंबर 2010 को किया गया था लेकिन वास्तव में पंचाट 16 नवम्बर 2013 को अस्तित्व में आया। जल विवाद कानून के अनुसार पंचाट के अस्तित्व में आने के तीन सालों की अवधि में सुनवाई पूरी करके केन्द्र सरकार को रिपोर्ट पेश करके मामले का निपटारा करना होता है। लेकिन किसी कारणवश सुनवाई पूरी नहीं होने पर पंचाट का कार्यकाल 2 साल तक बढ़ाने का कानून में प्रावधान है। कार्यकाल में पहले ही विस्तार कर दिए जाने के कारण महादयी पंचाट का कार्यकाल 20 अगस्त 2018 को पूरा हो रहा है और इस अवधि के भीतर पंचाट को अपनी रिपोर्ट देनी ही होगी। पंचाट को मूलत: २० अगस्त २०१६ तक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था।
सिद्धरामय्या ने कहा कि पहली बात तो यह है कि पंचाट का कार्यकाल और बढ़ाने का कानून में प्रावधान नहीं है। यदि कार्यकाल बढ़ाना आवश्यक हो तो इसके लिए अंतर राज्य जल विवाद कानून में संशोधन करना होगा। अवधि बढ़ाने पर विवाद हल होने में और विलंब होगा। इस संबंध में राज्य का नजरिया स्पष्ट है कि यह विवाद पेयजल से संबंधित है लिहाजा इस प्रकरण की सुनवाई वरीयता के आधार पर होनी चाहिए। राज्य के वकीलों ने गोवा के वकीलों व पंचाट के समक्ष राज्य के इस नजरिये को स्पष्ट रूप से पेश किया है इसी वजह से पंचाट ने गुरुवार से ही विवाद की सुनवाई शुरू कर दी है।
सिद्धरामय्या ने कहा कि इस प्रकरण के संबंध में राज्य सरकार ने पंचाट को तमाम साक्ष्य, सबूत व दस्तावेज व लिखित बयान पेश कर दिए हैं। अब पंचाट को दोनों राज्यों के वकीलों की दलीलों की सुनवाई मात्र करनी है। इस प्रकण में गोवा सरकार वादी है लिहाजा पहले उसे अपनी दलीलें पेश करना है और इसके बाद प्रतिवादी कर्नाटक व महाराष्ट्र अपना प्रतिवाद पेश करेंगे। कर्नाटक के अधिवक्ता फाली एस.नरीमन का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक एच. देसाई व वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान महादयी मसले पर राज्य की तरफ से पैरवी करेंगे।
उन्होंने कहा कि कावेरी, कृष्णा, महादयी सहित सभी जल विवादों के संबंध में विपक्षी दलों की सलाह लेकर ही राज्य की नजरिया तय करने की परिपाटी रही है। महादयी विवाद के संबंध में हालिया घटनाक्रम के बारे में विपक्षी सदस्यों को जानकारी देने के मसकद से ही यह बैठक बुलाई गई थी।
उन्होंने कहा कि विधान परिषद में विपक्ष के नेता के. एस. ईश्वरप्पा, विधानसभा में विपक्ष के नेता जगदीश शेट्टर ने बैठक में भाग लिया और सरकार के नजरिए का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अस्वस्थता के कारण विधान परिषद में जद (ध) के नेता बसवराज होरट्टी बैठक में भाग नहीं ले सके। विधानसभा में जद (ध) के नेता एच.डी. कुमारस्वामी की तरफ से विधायक कोन रेड्डी ने बैठक में भाग लिया और सरकार के नजरिए का समर्थन किया।

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