बैंगलोरPublished: Jan 10, 2023 01:23:14 am
Nikhil Kumar
बेंगलूरु. इंसान या जानवर, दोनों के खिलाफ हुए अपराधों की जांच और अपराधियों को सजा दिलाने में फोरेंसिक विज्ञान की भूमिका प्रभावशाली रूप से बेहद अहम होती है। लेकिन, वन्यजीव अपराध से संबंधित प्रकरणों की त्वरित कार्यवाही के लिए प्रदेश में फोरेंसिक लैब नहीं है। अपराध साबित नहीं हो पाता है। अपराधी बचकर निकल जाते हैं। उदाहरण के लिए चेन्नमन केरे अचूकट्टू पुलिस ने 2020 में बाघ के करीब 365 नाखून जब्त किए थे। लेकिन, अब तक रिपोर्ट में देरी के कारण कोई कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी है। वन विभाग को भयंकर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।