संस्था ने राज्य के कानूनों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि 2020 में कर्नाटक विधानसभा की बैठक सर्वाधिक 31 दिन हुई। राजस्थान विधानसभा की बैठक 29 दिन और हिमाचल प्रदेश की 25 दिन हुई। तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और गुजरात में 23-23 बैठकें हुईं। केरल विधानसभा की 2020 में 20 बैठकें हुईं जबकि इससे पहले के चार साल में औसतन 53 दिन सदन की बैठक हुई थी। पिछले साल संसद की कार्यवाही 33 दिन संचालित हुई। लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील के बाद राज्य विधानसभाओं ने अपने सत्र पुन: शुरू किए। रिपोर्ट के अनुसार आंध्र प्रदेश विधानसभा में राज्यपाल का भाषण वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुआ। तमिलनाडु विधानसभा का मानसून सत्र एक ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ तो पुदुचेरी के विधायकों ने एक नीम के पेड़ के नीचे बैठकर बजट पारित किया।
रिपोर्ट में कहा गया कि 2020 में राज्यों ने विनियोग विधेयक के अलावा औसतन 22 विधेयक पारित किए। सबसे अधिक 61 विधेयक कर्नाटक विधानसभा ने पारित किए। वहीं सबसे कम केवल एक विधेयक दिल्ली विधानसभा में पारित हुआ। तमिलनाडु में 42, उत्तर प्रदेश में 37, छत्तीसगढ़ में 32, महाराष्ट्र में 30, आंध्र प्रदेश में 29, गुजरात में 21, तेलंगाना में 20, केरल में 3 विधेयक पारित हुए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विधानसभाओं ने पिछले साल इन राज्यों ने औसतन 14 अध्यादेश जारी किए। केरल ने सबसे अधिक 81 अध्यादेश जारी किए। इनमें से करीब आधे अध्यादेश दुबारा जारी किए गए। संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक कोई भी अध्यादेश अधिकतम छह महीने तक ही वैध रह सकता है। इस अवधि के दौरान उसे विधायी मंजूरी मिलनी जरुरी होती है। अगर इस अवधि में विधानसभा या विधान मंडल ने उसे अनुमोदित नहीं किया तो सरकार को उसे दुबारा जारी करना पड़ेगा। जब सदन का सत्र नहीं चल रहा होता है तभी अध्यादेश जारी किए जा सकते हैं और सामन्यत: उसे इसके बाद अगले सत्र में मंजूरी के लिए विधेयक के तौर पर पेश किया जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में राज्य में 55 कानून लागू किए गए जो देश में सबसे अधिक रहा। आंध्र प्रदेश में 41, तमिलनाडु में 34, महाराष्ट्र में 29, तेलंगाना में 18, केरल में २ नए कानून लागू हुए। विधानसभा या विधानमंडल से पारित विधेयक को राज्यपाल या राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद गजट में अधिसूचित किए जाने के बाद ही वह लागू होता है। राज्य में अधिकांश विधेयक सदन में पेश जाने के दो दिन के अंदर ही पारित हो गए जबकि 37 प्रतिशत विधेयक पेश होने के पांच दिन के अंदर पारित हो गए।