सिटी सेंटर फॉर सिटिजनशिप एंड डेमोक्रेसी और जर्मन शोधकर्ता हन्नी सेडेल स्टिफ्टंग द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार कोविड-19 महामारी के दौरान नागरिकों तक पहुंचने के लिए शहर पुलिस के प्रयासों ने उनका विश्वास हासिल करने में मदद की है। सर्वेक्षण में शामिल नागरिकों में से 90 प्रतिशत लोग महामारी के पहले की तुलना में अब बेंगलूरु की पुलिस के बारे में ज्यादा सकारात्मक राय रखते हैं।
इस तरह हुआ अध्ययन
‘कोविड-19 महामारी के दौरान बेंगलूरु में पुलिसिंग ’, विषय पर बुधवार को एक वेबिनार में चर्चा की गई। इसमें अलग सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के ५२५ पुरुषों व महिलाओं ने भाग लिया और ऑनलाइन सर्वेक्षण के दौरान अपने विचार व्यक्त किए।
‘कोविड-19 महामारी के दौरान बेंगलूरु में पुलिसिंग ’, विषय पर बुधवार को एक वेबिनार में चर्चा की गई। इसमें अलग सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के ५२५ पुरुषों व महिलाओं ने भाग लिया और ऑनलाइन सर्वेक्षण के दौरान अपने विचार व्यक्त किए।
कुल मिलाकर अच्छा काम
कोविड-19 चरम पर रहने के दौरान सडक़ों पर पुलिस की उपस्थिति में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण नागरिकों ने स्वयं को ज्यादा सुरक्षित महसूस किया। आम राय यह बनी कि पुलिस ने कोविड-19 महामारी के दौरान अच्छा काम किया है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि इस दौरान जिन 70 प्रतिशत नागरिकों ने पहले की तुलना में महामारी के दौरान पुलिस के साथ अधिक बातचीत की, उन्होंने संकेत दिया कि वे पहले से ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं।
कोविड-19 चरम पर रहने के दौरान सडक़ों पर पुलिस की उपस्थिति में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण नागरिकों ने स्वयं को ज्यादा सुरक्षित महसूस किया। आम राय यह बनी कि पुलिस ने कोविड-19 महामारी के दौरान अच्छा काम किया है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि इस दौरान जिन 70 प्रतिशत नागरिकों ने पहले की तुलना में महामारी के दौरान पुलिस के साथ अधिक बातचीत की, उन्होंने संकेत दिया कि वे पहले से ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं।
सर्वे में जवाब देने वाले लगभग 70 फीसदी लोगों को लॉकडाउन के दौरान कफ्र्यू लागू करने आदि पुलिस की जिम्मेदारियों का पता था। इस दौरान ७० प्रतिशत से अधिक लोगों ने सहमति जताई कि संपर्क करने पर पुलिस ने उनकी जरूरतों को प्रभावी ढंग से निपटाया।
आम आदमी से मजबूत हुआ जुड़ाव केरल पुलिस के पूर्व महानिदेशक व अनुसंधान और विश्लेषण विंग के प्रमुख पीकेएच थारकन ने कहा कि पुलिस को निर्धारित प्रोटोकॉल लागू करने का प्राथमिक कर्तव्य दिया गया था। शुरुआत में, वे खुद नहीं जानते थे कि उन्हें कौन से उपाय करने थेे। फिर भी, वे उत्साह के साथ मैदान में कूद गए। हालांकि कई लोगों को इसका परिणाम भुगतना पड़ा। कुछ लोग खुद बीमार पड़ गए और कुछ ने तो दम तोड़ दिया। लेकिन इस प्रक्रिया में पुलिसकर्मियों ने आम आदमी से खुद का जुड़ाव मजबूत कर लिया। या यूं कहा जाए कि दिल जीत लिया।
खत्म हुई दूरी कमांड सेंटर की पुलिस उपायुक्त ईशा पंत ने कहा कि हमें इस दौरान एहसास हुआ कि जनता और पुलिस के बीच दूरी खत्म हो गई है। इस महामारी ने यह दिखाने का एक शानदार अवसर प्रदान किया कि हम वास्तव में कौन हैं और हम जनता के साथ काम कर सकते हैं।
बेंगलोर अपार्टमेंट्स फेडरेशन (बीएएफ) के महासचिव और संचालन परिषद सदस्य विक्रम राय ने कहा कि पुलिस और जनता के बीच बने इस मधुर रिश्ते को वार्ड और पुलिस स्टेशन स्तरों पर आगे ले जाने की आवश्यकता है।
बेंगलोर अपार्टमेंट्स फेडरेशन (बीएएफ) के महासचिव और संचालन परिषद सदस्य विक्रम राय ने कहा कि पुलिस और जनता के बीच बने इस मधुर रिश्ते को वार्ड और पुलिस स्टेशन स्तरों पर आगे ले जाने की आवश्यकता है।
अध्ययन में लोगों ने कहा कि नागरिकों ने महसूस किया कि पुलिस आवश्यकतानुसार सख्त हो सकती है। महामारी के बारे में जागरूकता पैदा करना जारी रखना चाहिए और अधिक चौकस होना चाहिए। पुलिस को समुदायों के साथ जुडऩा चाहिए और अपने पुराने आक्रामक तरीकों पर वापस नहीं जाना चाहिए।