नासा ने कहा है कि उसके एलआरओ चंद्र मिशन ने जब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की तस्वीर ली थी तब वहां शाम साये गहराने लगे थे। धुंधलका होने के कारण लैंडर के लोकेशन का पता नहीं लगाया जा सका। एलआरओ मिशन फिर एक बार 14 अक्टूबर के आसपास चंद्रमा के उसी हिस्से से गुजरेगा, जहां पर विक्रम पड़ा है और तब लैंडर की तस्वीर उतारने की कोशिश होगी।
नासा ने कहा है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी। लैंडर विक्रम ने भारतीय समयानुसार 7 सितम्बर तड़के 1.38 बजे चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अपनी यात्रा शुरू की। उसे चंद्रमा के दो क्रेटरों सिपैलियस-एन और मैंजिनस-सी के बीच एक हाइलैंड पर उतरना था। यह लैंडिंग स्थल चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव से 6 00 किलोमीटर दूर 70.8 डिग्री दक्षिणी देशांतर और 23.5 डिग्री पूर्वी देशांतर के बीच है।
नासा का चंद्र मिशन एलआरओ जब 17 सितम्बर को विक्रम के लैंडिंग स्थल के ऊपर से गुजरा तो उस इलाके का निरीक्षण किया। लेकिन, एलआरओ टीम विक्रम का पता लगाने अथवा उसकी तस्वीर हासिल करने में सफल नहीं रही। इस दौरान जो तस्वीरें एलआरओ ने उतारी वह चंद्रमा की कक्षा में 150 किमी की दूरी से ली गईं। उस समय दक्षिणी धु्रव पर शाम के साये गहराने लगे थे और अधिकांश क्षेत्र गहरे साये में ढका हुआ था।
नासा ने संभावना जताई है कि लैंडर विक्रम उन्हीं गहरे साये में होगा, जिससे उसकी ना तो तस्वीर मिली और ना ही उसका पता लगाया जा सका। जब अक्टूबर में एलआरओ फिर एक बार उस लैंडिंग स्थल के ऊपर से गुजरेगा, तब वहां प्रकाश रहेगा और विक्रम की तस्वीर उतारने की कोशिश होगी।