उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एएस ओक, न्यायाधीश एचटी नरेंद्र प्रसाद की खंडपीठ याचिका की सुनवाई के दौरान बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी), बेंगलूरु जल आपूर्ति व मल जल निस्तारण बोर्ड (बीडब्लूएसएसबी) तथा कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) को नोटिस जारी किया था।
पूछा गया था कि शहर में तालाबों की संख्या कितनी है? इस सवाल के जवाब तीनों संस्थाओं की ओर से अदालत में पेश किए गए तीन हलफनामों में संख्या अलग-अलग बताई गई। बीबीएमपी ने तालाबों की संख्या 210, बीडब्लूएसएसबी 183 और केएसपीसीबी ने 374 बताई। इस पर अदालत ने हलफनामा दायर करने वालों को फटकार लगाई और कहा कि क्या शहरों में तालाबों की संख्या जानने के लिए शेरलॉक होम्स जैसे किसी खुफिया विशेषज्ञ की सेवाएं लेनी पड़ेंगी ?
तालाबों की संख्या को तीन सरकारी संस्थाओं की जानकारियों में इतना फर्क कैसे है।
सोमवार तक पेश करें पूरी जानकारी
उसके पश्चात अदालत ने शहर के तालाबों के विकास को लेकर लागू योजनाओं की समग्र जानकारी सोमवार तक पेश करने के निर्देश देते हुए सुनवाई सोमवार तक टाल दी है।
इस दौरान अदालत नें तीनों संस्थाओं को बताया कि तालाबों का संरक्षण नहीं करना संविधान की धारा 21 का सरासर उल्लंघन होगा, इसलिए इस दिशा में गंभीरता से आवश्यक कदम उठाने चाहिए। याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने चेताया कि अगर अनदेखी की जाएगी तो इसे कोर्ट की अवमानना मान कर कड़ी कार्रवाई होगी।