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अंगना में फिर आना रे…

गौरैया को बचाने की मुहिम में लगीं कोकिला रमेश जैन

बैंगलोरMar 21, 2023 / 07:55 pm

Nikhil Kumar

गौरैया को बचाने की मुहिम में लगीं कोकिला रमेश जैन

बचपन से ही पशु-पक्षियों के प्रति विशेष लगाव रखने वाली और पक्षियों के संरक्षण की दिशा में कार्यरत Jeev Daya Jain Charity की संस्थापक कोकिला रमेश जैन (47) ने विशेषकर अपने निवास स्थान मैसूरु में गौरैया के लिए 500 से ज्यादा घर बनवाए हैं। सैकड़ों इको फ्रेंडली वाटर फीडर (eco friendly water feeder) वितरित किए हैं। बच्चों को भी गौरैया सहित अन्य पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूक कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने अनूठा Sparrow संरक्षण गेम बोर्ड भी बनाया है। बच्चे भी काफी उत्साहित हैं।

आसान नहीं थी राह, मिली मंजिल : कोकिला ने बताया कि शुरुआत में लोगों को समझना मुश्किल था। उन्हें लगता था कि गौरैया की कहानी अब समाप्त हो चुकी है। लेकिन, मैसूरु के देवराज मार्केट में विशेष अभियान चला वे लोगों के बीच गईं। उन्हें पक्षियों के व्यवहार के बारे में शिक्षित किया। लोगों को घोंसला टांगने के लिए प्रेरित किया और दाना-पानी भी उपलब्ध कराया। यह काम अब भी जारी है। अब भी कई लोग घोसलों की मांग करते हैं ताकि वे उन्हें अपनी दुकानों के पास लगा सकें। खुशी है कि लोग घोंसलों और इन पक्षियों की कीमत समझ रहे हैं। घोंसला पक्षियों को आकर्षित करने लगे हैं।

राजस्थान (Rajasthan) की तरह मैसूरु में भी बर्ड फीडिंग स्टेशन की योजना : कोकिला ने उन क्षेत्रों का अध्ययन किया, जहां अभी भी गौरैया पाई जा सकती हैं और वहां घोंसला बनाया। उनकी योजना मैसूरु के विभिन्न हिस्सों में पक्षियों के लिए फीडिंग स्टेशन (Bird Feeding Station) बनाने और फल-फूल देने वाले पौधे लगाने की है ताकि पक्षियों को प्राकृतिक रूप से भोजन मिल सके। इसके लिए वे पक्षियों के अनुकूल पौधे उगाती हैं। लोगों को नि:शुल्क देती हैं। राजस्थान के सिरोही शहर में फीडिंग स्टेशन बनावा चुकी हैं। कोकिला का कहना है कि कोई भी इच्छुक व्यक्ति घोंसला बनाकर पहल में भाग ले सकता है। जहां संभव हो रेत का गड्ढा बनाना भी जरूरी है क्योंकि गौरैया को रेत और पानी में खेलना अच्छा लगता है। गौरैया को बीज, चावल और फॉक्सटेल बाजरा का मिश्रण खिलाया जाता है।

लॉकडाउन ने दी दिशा

कोकिला ने lockdown के दौरान अपना समय गौरैया के लिए सुरक्षित प्रजनन स्थान प्रदान करने के लिए समर्पित किया ताकि उनकी संख्या बढ़ाई जा सके। बीते कुछ वर्षों के दौरान गौरैया की आबादी भी बढ़ी है। राजस्थान के बाड़मेर जिले में पादरू गांव की मूल निवासी कोकिला ने घोंसलों को खुद डिजाइन किया है। अनुकूलित टेराकोटा के घोंसलों ने अधिक गौरैया को आकर्षित करने में मदद की है। घोंसलों में कुछ छेद होते हैं जिससे पक्षी आसानी से अंदर और बाहर जा सकते हैं।

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