उधर, कुमारस्वामी ने टीपू जयंती के आयोजन का विरोध कर संगठनों को चेतावनी दी है कि अगर किसी ने सरकारी कार्यक्रमों के आयोजन में व्यवधान डालने की कोशिश की तो उससे सख्ती के साथ निपटा जाएगा। कुमारस्वामी ने भाजपा पर राज्य में सौहार्द का माहौल बिगाडऩे की कोशिश करने का आरोप लगता हुए कहा कि सभी समुदायों की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। मंगलवार को उपचुनावों के परिणाम घोषित होने के बाद कहा था कि उन्होंने कभी भी टीपू जयंती के आयोजन का समर्थन या विरोध नहीं किया था। अगर भाजपा को यह अनुचित लगता है तो उन्हें इसमें शामिल नहीं होना चाहिए।
गौरतलब है कि १८ वीं सदी में मैसूरु रियासत के शासक रहे टीपू की जयंती मनाने की शुरूआत २०१५ में सिद्धरामय्या के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने किया था। उस वर्ष कोडुगू जिले में हुए प्रदर्शन के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी।