जन्मदिन पर याद किए गए कुवेम्पू
राज्य के विभिन्न स्थानों पर शनिवार को ज्ञानपीठ पुरस्कृत साहित्यकार के.वी. पुट्टप्पा (कुवेम्पू) का 114 वां जन्मदिवस मनाया गया। इस अवसर पर उनकी साहित्यिक रचनाओं को लेकर विचार संगोष्ठियों का आयोजन किया गया।

साहित्यिक संगोष्ठियों का आयोजन
बेंगलूरु. राज्य के विभिन्न स्थानों पर शनिवार को ज्ञानपीठ पुरस्कृत साहित्यकार के.वी. पुट्टप्पा (कुवेम्पू) का 114 वां जन्मदिवस मनाया गया। इस अवसर पर उनकी साहित्यिक रचनाओं को लेकर विचार संगोष्ठियों का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1904 में शिवमोग्गा जिले के कुप्पली गांव में एक संपन्न परिवार में जन्म लेने वाले पुट्प्पा को रामायण दर्शन रचना के लिए वर्ष 1968 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार प्राप्त करनेवाले वह पहले कन्नड़ साहित्यकार थे।
राज्य के वरिष्ठतम साहित्यकारों में से कुवेम्पु को उत्कृष्ट साहित्यिक रचनाओं के लिए जाना जाता है। उनकी रचना 'जय भारत जननीय तनुजाते जय हे कर्नाटक मातेÓ गीत को कर्नाटक के नाडगीते (राज्य का गीत) के रूप में मान्यता मिली है। सभी सरकारी समारोह की शुरुआत इसी गीत से की जाती है। उनकी दूसरी रचना 'हुलूवा योगी नोडअल्लीÓ इस गीत को राज्य सरकार ने किसान गीत के रूप में मान्यता दी है।
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