बैंगलोर

पिछले साल राज्य में अजा-जजा उत्पीडऩ के 2140 मामले दर्ज

हालात: अजा- जजा पर्यवेक्षण व सबलीकरण समिति की रिपोर्ट
दलित उत्पीडऩ मामलों के लिए विशेष अदालतों के गठन की सिफारिश

बैंगलोरNov 14, 2018 / 08:23 pm

Ram Naresh Gautam

पिछले साल राज्य में अजा-जजा उत्पीडऩ के 2140 मामले दर्ज

बेंगलूरु. अजा-जजा पर्यवेक्षण व सबलीकरण समिति ने मंगलवार को जारी की गई 2017 के संबंध में अपनी रिपोर्ट में दलित उत्पीडऩ के प्रकरणों की त्वरित सुनवाई के लिए राज्य के हरेक जिले में विशेष अदालत की स्थापना करने व इन अदालतों में संवेदनशील व सक्षम न्यायाधीशों की नियुक्तियां किए जाने की सिफारिश की है।
समिति ने मंगलवार को यहां जारी रिपोर्ट में सरकार से विशेष अदालतों के गठन की सिफारिश करने के साथ ही जिला स्तर पर दलित उत्पीडऩ की रोकथाम के लिए जिलाधिकारियों की अगुवाई में गठित प्रभारी समितियों की नियमित बैठक नहीं बुलाने वाले जिलाधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है।
रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल बेंगलूरु, शहरी, चिक्कबलापुर तथा रायचूर के जिलाधिकारी ने केवल दो बार ही बैठक बुलाई, लिहाजा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए और सेवा रिकार्ड में इस बारे में टिप्पणी लिखी जाए।
जिला स्तरीय प्रभारी समितियों की निर्धारित समयावधि के भीतर बैठक बुलाई जानी चाहिए। इसी तरह पुलिस थाने के स्तर पर उत्पीडऩ के प्रकरणों में सुलह कराने वाले पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए और इसके लिए जिला पुलिस अधीक्षकों को उत्तरदायी ठहराया जाए।
समिति ने दलित उत्पीडऩ के विविध न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों की सही तरीके से निपटारा करवाने के लिए राज्य स्तर पर नियुक्त अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद को स्थाई किए जाने व अधिकारियों को निश्चित व स्पष्ट जिम्मेदारी सौंपे जाने, दलित उत्पीडऩ के मामलों में शून्य सजा दिलाने वाले 12 विशेष लोक अभियोजकों को बदलने तता उन पर निगरानी रखने के लिए अधिकारियों को नियुक्त करने सहित कुल 15 सिफारिशें की हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2017 में राज्य में दलित उत्पीडऩ के कुल 2140 प्रकरण दर्ज हुए हैं जो पिछले साल से 11.92 फीसदी अधिक हैं और यह कोई अच्छा संकेत नहीं है।
राज्य में रोज औसतन 5-6 दलित उत्पीडऩ के केस दायर हो रहे हैं। पांच दिनों में एक हत्या अथवा जानलेवा हमला, हर दो दिन में एक बलात्कार हो रहा है।

दलित उत्पीडऩ कानून को सही तरीके से लागू किया जाए तो ऐसे प्रकरण सामने नहीं आएंगे। इस कानून को लागू करने के लिए प्रमुख पदों पर दक्ष आईएएस, केएएस, आईपीएस अधिकारियों व न्यायाधीशों को नियुक्त किया जाना चाहिए।
इससे पहले रिपोर्ट को जारी करते हुए समाज कल्याण विभाग के सचिव गंगाराम बडेरिया ने कहा कि इस रिपोर्ट को लागू करने के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठाएगी।

सरकार ने अजा-जजा के कल्याण व सबलीकरण के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं। उन्होंने कहा कि अजा-जजा उप योजना अधिनियम एक क्रांतिकारी कानून हैं और यह कानून सही तरीके से लागू हो जाने पर इस वर्ग के लोगों के जीवन में निश्चित रूप से सुधार आएगा।
इस साल राज्य सरकार ने दलितों के कल्याण के लिए कुल 29 हजार करोड़ रुपए का अनुदान आवंटित किया है। इस मौके पर समिति की संचालिका पी. यशोदा सहित अनेक दलित नेता मौैजूद थे।
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