उच्च न्यायालय ने शहर की सड़कों पर गड्ढे अधिक होने पर पालिका को ही सड़कों के रख-रखाव की जिम्मेदारी लेने का आदेश दिया था। केबल को बिछाते समय सड़कों को होने वाले नुकसान की भरपाई संंबंधित निजी संचार कंपनियों से ही संग्रहित करने का आदेश दिया था। (Telecom Companies)
उसी कारण पालिका ने केबल बिछाने के लिए अनुमति देने, कंपनियों के कार्य पर निगरानी करने और सड़कों के विकास के शुल्क भुगतान सें संंबंधित नया आदेश जारी किया। आदेश में हर एक गड्ढे के लिए 10 हजार रुपए शुल्क तय किया है।
हालांकि पालिका के आधिकारियों और संचार कंपनियों के बीच हुई बैठक में कंपनियों के अधिकारियों ने पालिका पर एक तरफा फैसला लेने और अवैज्ञानिक रूप से आदेश जारी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हर एक गड्ढे के लिए निर्धारित शुल्क पूर्व की तुलना में ढाई गुण अधिक है। पालिका के आयुक्त बीएच अनिल कुमार ने कहा कि केबल बिछाने के बाद सड़क की मरम्मत, गड्ढोंं को भरने का खर्च, मजदूरों की कीमत को ध्यान में रख कर शुल्क तय
की गई है।
एक समीक्षा के अनुसार शहर में रिलायांस, जियो, एयरटेल, टाटा टेलिकॉम, वोडाफोन, हैथवे समेत कई दूरसंचार कंपनियों ने लगभग 500 से 600 किलोमटर तक ओएफसी बिछाने के लिए अनमुति मांगी है। ओएफसी बिछाते समय एक किलोमाटर के लिए 10 से 15 गड्ढे पडऩे की संभावना है।
पालिका की कीमत के अनुसार एक किलोमीटर केबल बिछाने के लिए1.20 लाख से 1.30 लाख रुपयों का खर्च आएगा। रिलायन्स, जियो और एयरटेल ने 400 किलोमीटर तक केबल बिछाने की अनुमति प्राप्त की है। दूरसचंार कंपनियां केबल बिछाने के बाद गड्ढों को भरने या सड़कों की मरम्मत नहीं करती थीं जिससे कई हादसे होते थे। वाहन सवारों को परेशानी होती थी। उसी कारण पालिका ने ढाई गुण अधिक कीमत तय की है।