उन्होंने यहां बुधवार को कहा कि भाजपा के कई विधायकों ने इस मामले में नाराजगी व्यक्त की है। भाजपा की सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है। यहां पर तीन गुट हैं जो एक दूसरे पर हावी होने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। ऐसे में इस अंदरूनी कलह के कारण से ही सरकार का पतन तय है। सरकार को अस्थिर करने के लिए विपक्ष की कतई आवश्यकता नही है। यह कार्य उसी पार्टी के विभिन्न गुटों के नेता ही कर रहे हैं। जब सरकार का पतन होगा तो विपक्ष नए सरकार के गठन की संभावनाओं को आजमाएगा। अभी इस सरकार को सत्ता से दूर करना कांग्रेस की कार्यसूची में शामिल नहीं है।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक भाजपा सरकार एक निष्क्रिय प्रशासन की मिसाल है। किसी भी क्षेत्र में इस सरकार का अस्तित्व दिखाई नहीं दे रहा है। राज्य में बेरोजगारी बढ़ रही है। किसान परेशान हंै। दुकानदार उद्यमी हैरान है लेकिन यह वित्तीय हालात यहां तक पहुंचे हैं कि सरकार के पास कर्मचारियों के वेतन के लिए भी पैसे नहीं है।उन्होंने कहा कि ऐसी गंभीर स्थिति में भी भाजपा नेता लोगों के हितों की अनदेखी कर गुटबाजी में व्यस्त हंै। उनके रोज एक दूसरे के खिलाफ बयानों से यह गुटबाजी उजागर हो रही है। इसी कारण मुख्यमंत्री बीएस यडियूरप्पा पर प्रशासन पर पकड़ जमाने में विफल रहे हैं।
जिसके परिणाम स्वरूप राज्य सरकार की कोई भी योजना लोगों तक नहीं पहुंच रही है। हाल में मुख्यमंत्री की ओर से घोषित पैकेज केवल दस्तावेजों तक सीमित है।उन्होंने राज्य सरकार की ओर से कोरोना वायरस संक्रमण के बहाने से ग्राम पंचायत के चुनाव टालने के प्रयासों को संविधान का उल्लंघन बताते हुए कहा कि इस मामले को लेकर प्रदेश कांग्रेस इकाई शीघ्र ही उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेगी।