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विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का कामकाज रोको प्रस्ताव खारिज

locationबैंगलोरPublished: Feb 18, 2020 07:56:42 pm

Submitted by:

Sanjay Kulkarni

विधान परिषद में मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष एसआर पाटिल ने नियम 59 के तहत कामकाज प्रस्ताव रोको प्रस्ताव लाया जिसका सत्तासीन भाजपा के सदस्यों ने विरोध किया। इसे लेकर सदन में काफी देर तक सत्तासीन भाजपा तथा विपक्ष कांग्रेस तथा जद-एस के सदस्यों के बीच नोंकझोक चलती रही।

विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का कामकाज रोको प्रस्ताव खारिज

विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का कामकाज रोको प्रस्ताव खारिज

विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का कामकाज रोको प्रस्ताव खारिज
बेंगलूरु. विधान परिषद में मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष एसआर पाटिल ने नियम 59 के तहत कामकाज प्रस्ताव रोको प्रस्ताव लाया जिसका सत्तासीन भाजपा के सदस्यों ने विरोध किया। इसे लेकर सदन में काफी देर तक सत्तासीन भाजपा तथा विपक्ष कांग्रेस तथा जद-एस के सदस्यों के बीच नोंकझोक चलती रही।
सदन में स्थिति अनियंत्रित होती हुई देखकर सभापति प्रतापचंद्र शेट्टी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने उनको नियम 59 के तहत सदन में विषय प्रस्तावित करने के लिए नोटिस दिया है। जिसके तहत वे नेता प्रतिपक्ष को इस प्रस्ताव पर नियम 59 के तहत ही बहस क्यों आवश्यक है, इसके लिए तर्क रखने की अनुमति दे रहें है। नेता प्रतिपक्ष के तर्क सुनने के पश्चात वे इस बात का फैसला करेंगे कि इस प्रस्ताव पर नियम 59 या नियम 68 के तहत बहस की अनुमति दी जा सकती है।
सभापति की इस रुलिंग के पश्चात एसआर पाटिल ने अपना तर्क पेश करते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था दम तोड़ रही है। पूरे राज्य में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) तथा राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण (एनआरसी) को लेकर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। केंद्र सरकार से जीएसटी की बकाया राशि का भुगतान नहीं होने से राज्य में विकास कार्य ठप हो गए है। राज्य की वित्तीय स्थिति डांवाडोल हो रही है। इसी प्रकार की कई और ज्वलंत समस्याएं है जिनपर सदन में चर्चा होने की आवश्यकता है।
एसआर पाटिल के तर्क पर सदन के नेता कोटा श्रीनिवास पुजारी ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि नियम 59 के तहत केवल किसी एक निर्दिष्ट मामले को ही सदन में उठाया जा सकता है। सदन के नेता के इस बयान को लेकर सदन में फिर शोरगुल चलता रहा। इस बीच सभापति ने हस्तक्षेप करते हुए इस मामले को नियम 59 के बदले नियम 68 के तहत बुधवार को सदन में बहस की अनुमति देने का फैसला किया जिसके पश्चात इसका पटाक्षेप हो गया।
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