उन्होंने ट्विटर पर मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा को किसान विरोधी करार देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना होगा कि क्या वर्ष 2018 के भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में ऐसे संशोधन लाने का वादा किया गया था? अगर यह वादा चुनावी घोषणा पत्र में नहीं था तो किसके दवाब मेंं आकर आनन-फानन में यह संशोधन पारित किए गए है?
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सोचा था कि कोरोना संक्रमण के डर से राज्य के किसान इस किसान विरोधी कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरकर संघर्ष नहीं करेंगे लेकिन राज्य के किसानों ने आज सड़कों पर उतरकर सरकार की यह धारणा गलत साबित कर दी है। कोरोना महामारी के संक्रमण की आशंका के बीच भी राज्य के विभिन्न जिलों में सैकड़ों किसान सड़कों पर आकर इस कानून के खिलाफ विरोध जता रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में जब भी भाजपा की सत्ता होती है, किसानों के साथ अन्याय होता है। जब बीएस येडियूरप्पा ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो हावेरी में खाद की मांग कर रहे किसानों पर गोलियां चलाई गई थी। अब चौथी बार मुख्यमंत्री बनें येडियूरप्पा ने किसान तथा कृषि के लिए घातक कानून लाए हैं।