मिली जानकारी के मुताबिक जब पुलिस अधिकारी को अवकाश नहीं मिला तो उसने वरिष्ठ अधिकारियों पर दबाव डालकर अवकाश स्वीकृत कराने के लिए अपने परिचित कुछ नेताओं की मदद ली थी। वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी शिकायत राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण से कर दी।
प्राधिकरण ने जांच के बाद उक्त अधिकारी को विभाग की गरिमा को कम करने का दोषी पाया। इसके बाद सरकार ने उक्त अधिकारी की कालबद्ध प्रोन्नति में छह महीने की देरी करने का निर्णय लिया है। मामला बेलगावी जिले का है।
पुलिस अधीक्षक की शिकायत के आधार पर मामले की जांच करने वाली प्राधिकरण की अनुशासन समिति ने अवर निरीक्षक से भी स्पष्टीकरण मांगा था लेकिन उसके जवाब को संतोषजनक नहीं मानते हुए कार्रवाई की सिफारिश की गई।
मिली जानकारी के मुताबिक बेलगावी जिले के एक थाने में तैनात अवर निरीक्षक इस साल फरवरी में चार दिन का अवकाश चाहिए था। उसने अवकाश के लिए आवेदन देने के बाद विभागीय प्रक्रिया का इंतजार किए बिना ही कुछ नेताओं से उच्चधिकारियों छुट्टी मंजूर किए जाने के लिए दबाव डालवाया।
पुलिस अधीक्षक की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए प्राधिकरण ने अवर निरीक्षक का बयान भी दर्ज किया लेकिन वैध नहीं पाया गया। इसके बाद जांच समिति ने अवर निरीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की।
प्राधिकरण ने सरकार से उक्त अधिकारी की प्रोन्नति में छह महीने की देरी करने की सिफारिश की। इस सिफारिश के खिलाफ अवर निरीक्षक ने अपील भी लेकिन वह खारिज हो गई। फरवरी से अप्रेल के बीच हुई इस प्रक्रिया के बाद उक्त अधिकारी ने राहत पाने लिए राज्य सरकार को आवेदन दिया लेकिन अंतत: सरकार ने भी प्राधिकरण की सिफारिश को स्वीकार करते हुए अवर निरीक्षक की अपील खारिज कर दी।
9 अक्टूबर को राज्य पुलिस कानून 1963 के प्रावधानों के तहत अवर निरीक्षक की प्रोन्नति छह महीने तक लंबित रखने का आदेश जारी कर दिया।
इस बारे में पूछे जाने पर कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना था कि पुलिस के कामकाज में राजनीतिज्ञों की दखल आम बात है लेकिन काफी कम मामलों की शिकायत हो पाती है।
इस बारे में पूछे जाने पर कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना था कि पुलिस के कामकाज में राजनीतिज्ञों की दखल आम बात है लेकिन काफी कम मामलों की शिकायत हो पाती है।