आचार्य तुलसी के जीवन को रेखांकित करते हुए मुनि रणजीत कुमार ने कहा कि गुरु होना गौरव की बात है। सफल गुरु वह होता है, जिसमें गुरुता हो। आचार्र्य तुलसी अध्ययन करने और अध्यापन कराने में निपुण थे।
अनेक साधु-साध्वियों एवं कार्यकर्ताओं का उन्होंने सृजन किया। मुनि रमेश कुमार ने कहा कि जो दिव्यता लेकर जन्मता है वह दिव्यता में जीता है। आचार्य तुलसी दिव्यता के परम देवता थे। तेरापंथ धर्म संघ, जैन धर्म, समग्र समाज व देश को उन्होंने अपने दिव्य संदेशों से नए-नए आयाम दिए। देश की महान विभूतियों में उनका अग्रणी स्थान है।
तुलसी अष्टकम से तेरापंथ महिला मंडल, यशवंतपुर ने मंगलाचरण किया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष प्रकाश बाबेल ने आचार्य तुलसी के जीवन पर विचार रखते हुए स्वागत किया। मुख्य अतिथि अणुव्रत समिति, बेंगलूरु के अध्यक्ष कन्हैयालाल चिपड़ ने बताया कि आचार्य तुलसी के विशिष्ट अवदानों से ही तेरापंथ धर्म संघ को ऊंचाइयां हासिल हुईं।
विशिष्ट अतिथि भूपेन्द्र मुथा ने कहा कि आचार्य तुलसी गौरवशाली व्यक्तित्व व कृतित्व का नाम है, जिन्होंने अपना सारा जीवन मानवता के लिए समर्पित कर दिया था।
विश्व में जगाई मानवता की लौ
मुख्य वक्ता डॉ. मनोहर भारती ने कहा कि आचार्य तुलसी का बाह्य व्यक्तित्व जितना आकर्षक था उससे भी हजारों गुणा उनका आभ्यंतर व्यक्तित्व श्रेष्ठ था। पूरे समाज, देश, सम्पूर्ण विश्व में मानवता की लौ जगाई।
विश्व में जगाई मानवता की लौ
मुख्य वक्ता डॉ. मनोहर भारती ने कहा कि आचार्य तुलसी का बाह्य व्यक्तित्व जितना आकर्षक था उससे भी हजारों गुणा उनका आभ्यंतर व्यक्तित्व श्रेष्ठ था। पूरे समाज, देश, सम्पूर्ण विश्व में मानवता की लौ जगाई।
उन्होंने मानव धर्म की बात ही नहीं कही, अपितु अणुव्रत आन्दोलन के माध्यम से मानव को मानव बनाने का मार्ग बताया। धर्म का आचरण प्रदर्शन में नहीं, अपितु आचरण में आना चाहिए। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा अरुणा महनोत ने भी विचार व्यक्त किए। गायक गगन बरडिय़ा ने महाप्राण गुरुदेव का मधुर स्वरों में प्रस्तुति दी। मंत्री गौतम मुथा ने संयोजन किया।