महापुरुषों का जीवन इतना महान होता है कि उसमें से ली गई यह घटना भी इंसान को बदल सकती है। जैसे हवा का एक झोंका चलती हुई नौकाओं की दिशा बदल देता है। वैसे ही महापुरुषों के जीवन की छोटी सी घटना हमारे लिए रोशनी का पैगाम बन जाती है। रत्नाकर डाकू को सप्त ऋषि मिले उनके वचनों ने रत्नाकर डाकू को डाकू नहीं रहने दिया उसे साधु बना दिया। आगे चलकर महान ऋषि वाल्मिकी हो गया। धर्मसभा में प्रथम पितलिया ने 9 के पचचखाण लिए एक भाई ने 11 के पचचखाण लिए तपस्या का क्रम निरंतर चल रहा है। शनिवार आचार्य भगवान की जन्म जयंती के निमित्त एक आसन दिवस दया दिवस रखा गया है। 19 को महान तपस्विनी सोहन कुंवर की पुण्यस्मृति दिवस पर सामूहिक उपवास रखा गया है। सभा का संचालन सुखवीर कोठारी ने किया।