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महापुरुषों से सीखें जीने की कला डॉ. दर्शनप्रभा

locationबैंगलोरPublished: Sep 17, 2021 07:24:03 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

धर्मसभा

महापुरुषों से सीखें जीने की कला डॉ. दर्शनप्रभा

महापुरुषों से सीखें जीने की कला डॉ. दर्शनप्रभा

बेंगलूरु. गुरु ज्येष्ठ पुष्कर दरबार में डॉ. समृद्धिश्री ने कहा दुनिया कि कोई भी वस्तु छोटी सी हो सकती है। लेकिन यदि उसी वस्तु का सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो वह साधारण सी दिखने वाली वस्तु साधन परिणाम दी जाती है। यूं तो 00 ही रहता है। लेकिन उसी शून्य से पहले एक अंक लग जाए तो वह 01 से 10 गुना हो जाता है और 10 के आगे 10 लगाएं तो 100 गुना कर देता है। हमारा जीवन जो साधारण दिखाई देता है। वह भी असाधारण परिणाम दे सकता है। अगर उसका सही उपयोग किया जाए तो इंसान का एक वोट केवल 1 वोट ही दिखाई देता है। लेकिन वह एक वोट भी सत्ता परिवर्तन का आधार बन जाता है। एक अकेला धु्रव तारा हजारों नाविकों को मंजिल तक पहुंचा देता है। इंसान की एक छोटी सी मुस्कान सारे बोझिल वातावरण को सौम्य बना देती हैं। डॉ.दर्शनप्रभा ने कहा कि इत्र की छोटी सी बूंद सारे वातावरण को सुगंध में बना सकती है। इसी तरह किसी भी महापुरुष के जीवन का साधारण सा घटनाक्रम भी इंसान की जिंदगी को बदल सकता है।
महापुरुषों का जीवन इतना महान होता है कि उसमें से ली गई यह घटना भी इंसान को बदल सकती है। जैसे हवा का एक झोंका चलती हुई नौकाओं की दिशा बदल देता है। वैसे ही महापुरुषों के जीवन की छोटी सी घटना हमारे लिए रोशनी का पैगाम बन जाती है। रत्नाकर डाकू को सप्त ऋषि मिले उनके वचनों ने रत्नाकर डाकू को डाकू नहीं रहने दिया उसे साधु बना दिया। आगे चलकर महान ऋषि वाल्मिकी हो गया। धर्मसभा में प्रथम पितलिया ने 9 के पचचखाण लिए एक भाई ने 11 के पचचखाण लिए तपस्या का क्रम निरंतर चल रहा है। शनिवार आचार्य भगवान की जन्म जयंती के निमित्त एक आसन दिवस दया दिवस रखा गया है। 19 को महान तपस्विनी सोहन कुंवर की पुण्यस्मृति दिवस पर सामूहिक उपवास रखा गया है। सभा का संचालन सुखवीर कोठारी ने किया।
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