उन्होंने कहा कि जिन लोगों को परिवार, समाज, संस्था आदि का हिस्सा रहकर रहना हो तो उन्हें कुछ अमूल्य सूत्रों पर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि यही उन्हें बेहतर तरीका देगा। शांतिपूर्ण जीवनचार्य के ये सूत्र जीवन सूत्र हैं। जिस परिवार का हम हिस्सा हैं उसमें अगर हम ही व्यवस्था न बनाए रखेंगे तो कौन व्यवस्था बनाएगा? पढ़े लिखे भी अव्यवस्थाएं फैलाएं तो दुर्भाग्यपूर्ण है। दूसरा सूत्र सामंजस्य है।
सुखमय साथ रहन सहन का। जीवन और परिवार में जब संगीतमय लयबद्धता होती है तब हम लोग आनन्दित होते हैं। सुखमय जीवन का एक सूत्र समझौता भी है। समझौते को एक कमजोरी के रूप में देखा जाने लगा है पर यह एक उलझन वाली बात है। आज अगर पति पत्नी, मां-बाप और बच्चों के बीच समाज में बिखराव ज्यादा दिख रहा है तो इसका एक बड़ा कारण है समझौता न करने की वृत्ति का होना है। क ोई भी समझौता नहीं करना चाहता। सभा में मुनिवृंद, चिकपेट शाखा के मंत्री गौतमचंद धारीवाल, मंत्री रिखबचंद मेहता ने भी विचार व्यक्त किए।
श्रीमद् भागवत कथा कल से
बेंगलूरु. मैसूर रोड स्थित राजपुरोहित समाज में शुक्रवार से सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा का आयोजन किया जाएगा। ब्रह्मधाम आसोतरा के डॉ. ध्यानाराम भागवत वाचन करेंगे।
समापन अवसर पर ब्रह्मसावित्री सिद्ध पीठ ब्रह्मधाम आसोतरा के पीठाधीश संत तुलछाराम, अखिल भारतीय साधु समाज राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष महंत निर्मलदास, ऊंदरा फांटा आश्रम राजस्थान के संत बालकदास सहित कई साधु, संत भाग लेंगे। कथा के लाभार्थी मुगनसिंह परिवार मोहराई होंगे।