बाकी समान विचारधारा वाले दलों से गठजोड़ को लेकर सहमति नहीं बन पाई। माकपा को चिकबल्लापुर जिले की बागेपल्ली सीट से जीत की उम्मीद है, जहां से पार्टी ने प्रदेश सचिव जी वी श्रीराम रेड्डी को मैदान में उतारा है। रेड्डी इससे पहले 1994 और 2004 में चुनाव जीत चुके हैं।
वामदलों के बीच गठजोड़ नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर रेड्डी ने कहा कि हमारे बीच गठजोड़ की संभावना इसलिए खत्म हो गई क्योंकि भाकपा (माले) और एसयूसीआई (सी) ने हमारे मजबूत गढ़ों से पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। गुलबर्गा ग्रामीण, गंगावती और के आर पुरम में हमारी स्थिति अच्छी है और पार्टी कार्यकर्ताओं का दबाव यहां से चुनाव लडऩे के लिए था।
रेड्डी ने कहा कि हमारा मकसद भाजपा को हराना है और जिन क्षेत्रों में हम चुनाव नहीं लड़ेंगे वहां जीतने में सक्षम कांग्रेस और जद ध के उम्मीदवारों को समर्थन करेंगे। हालांकि, पिछले कुछ चुनावों में माकपा का राज्य में वोट प्रतिशत लगातार गिरा है। पिछले चुनाव में पार्टी को सिर्फ 0.22 फीसदी यानी 68 हजार 775 मत मिले थे। पिछले 14 सालों से माकपा का विधानसभा चुनाव में खाता नहीं खुला है। भाकपा का मत प्रतिशत भी गिरा है। पिछले बार भाजपा 8 सीटों पर लड़ी थी और उसे सिर्फ 0.08 फीसदी यानी 25 हजार 450 वोट मिले थे।
भाकपा के राज्य सचिव एस सुंदरेश ने कहा कि हम सिर्फ दो सीटों पर लड़ रहे हैं। जद ध ने गठजोड़ का प्रस्ताव दिया था लेकिन हमने मना कर दिया। एसयूसीआई (सी) के सचिव के राधाकृष्णा ने कहा कि हम पांच सीटों पर लड़ रहे हैं लेकिन भाकपा और माकपा से गठजोड़ नहीं है। माले ने भी आठ सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।