उन्होंने कहा कि शरीर मरण धर्मा है लेकिन शरीर में जो आत्मा है, वह अमरणधर्मा है। शरीर नश्वर है आत्मा अमृतपुंज है। अमृत को पाना है तो मृत्यु के चक्रव्यूह से बाहर निकलना आवश्यक है। साध्वी कमल प्रज्ञा ने कहा कि धर्म टॉनिक के समान है जिसे पिएं और सुखी बनें। रेखा सिंघवी ने 31 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। संघ मंत्री ज्ञानचंद लोढ़ा ने बताया कि गुरुवार को भक्तामर स्त्रोत के 26वें श्लोक के अनुष्ठान होंगे।
क्षमा गुणीजनों का भूषण है
श्रवणबेलगोला. श्रीक्षेत्र में सामूहिक क्षमा वाणी महोत्सव मनाया गया। स्वामी चारुकीर्ति भट्टारक ने धर्म के दस अंगों में क्षमा को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए कहा कि क्षमा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। यदि जगत के सब जीवों के प्रति क्षमा भाव मन में जागृत हो तो समझना चाहिए कि हमारे जीवन में धर्म आ गया है। श्रवणबेलगोला में तीन दिवसीय क्षमा वाणी की प्रेरणा मुनि प्रज्ञासागर ने दी। उन्होंने कहा था कि इतनी भव्यता के साथ यहां दसलक्षण पर्व मनाया गया है तो समापन भी भव्यता से होना चाहिए। इस अवसर पर आचार्य वर्धमान सागर ने कहा आधुनिकता के चलते क्षमा वाणी का स्वरूप बदलता जा रहा है।
पहले लोग पोस्टकार्ड के माध्यम से अपनों से क्षमा मांगा करते थे। आजकल व्हाट्सएप के दौर में एक मैसेज से काम हो जाता है। जब तक हम हमारी गलतियों को याद कर क्षमा नहीं मांगेंगे, हमारा क्षमा मांगना सार्थक नहीं होगा। सामूहिक क्षमा वाणी का समापन तपोभूमि प्रणेता प्रज्ञासागर ने क्षमा प्रार्थना के साथ किया। भंडार बसदी में पारम्परिक रूप से सहस्त्रकूट जिनबिम्ब का पंचामृत महामस्तकाभिषेक किया गया। इससे पहले भगवान नेमिनाथ की फूलों से सजी रथयात्रा निकाली गई।