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साधर्मिक कल्पवृक्ष के समान- साध्वी सुधा कंवर

locationबैंगलोरPublished: Aug 04, 2021 08:57:43 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

धर्मसभा का आयोजन

साधर्मिक कल्पवृक्ष के समान- साध्वी सुधा कंवर

साधर्मिक कल्पवृक्ष के समान- साध्वी सुधा कंवर

बेंगलूरु. हनुमंत नगर जैन स्थानक र्में विराजित साध्वी सुधाकंवर ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि साधर्मिक भक्ति करने से सम्यकत्व निर्मल होता है, हृदय विशाल बनता है, चित्त की वृत्तियां निर्मल बनती हैं। साधर्मिक की भक्ति बहुमान एवं स्तुति करते हुए साधक दुर्गति के द्वार को बंद कर देता है और सुगति का बंध करता है। साधर्मिक तो अपने आंगन में आया हुआ कल्पवृक्ष है। साध्वी ने साधर्मिक की परिभाषा बताते हुए कहा कि जिसका धर्म आचार विचार व्यवहार समान हो वह साधर्मिक में कहलाता है।
साध्वी सुयशा ने कहा कि जिस पत्थर से पुल का निर्माण होता है उसी पत्थर से दीवार का निर्माण भी होता है, जिस लोहे से ताला बनता है उसी लोहे से चाबी भी बनती है, उसी प्रकार जिन शब्दों से परमात्मा की स्तुति बनती है उन्ही शब्दों से गालियां भी बनती है। अब चुनाव हमारा है कि हमें अपने शब्दों का किस प्रकार से उपयोग करना है। धर्मसभा का संचालन मंत्री भंवरलाल गादिया ने किया। गादिया ने बताया कि गुरुवार को साध्वी सुधा कंवर के जन्म दिवस पर सजोड़े जाप का आयोजन होगा। 06-07-08 अगस्त को आचार्य आनंद ऋषि की जयंती के उपलक्ष्य में सामूहिक तेले तप का आयोजन होगा। सभा में भारतीय जैन अल्पसंख्यक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गौतमचंद धारीवाल ने जैनों को सरकार से मिलने वाले लाभों के बारे में जानकारी दी।
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