इसके अनुयायियों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने के संबंध में पिछली सिद्धरामय्या की सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय किया था और उस निर्णय के अनुमोदन के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश भेजी थी। केंद्र सरकार ने इस बारे में निर्णय करने के बजाय इस मसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। केंद्र सरकार का इस तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए दिल्ली में लिंगायत धर्मावलंबियों का विशाल सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें दक्षिण भारत के सभी राज्यों के लिंगायत प्रतिनिधि व मठ प्रमुख भाग लेंगे।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन का आयोजन दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में होगा। 10 दिसंबर को सुबह 10:30 बजे सम्मेलन का उद्घाटन होगा और शाम को 4 बजे से धर्मचिंतन गोष्ठी होगी। 11 दिसंबर को सर्व धर्म समन्वय गोष्ठी होगी और 12 दिसंबर को सुबह 10 बजे जुलूस व पदयात्रा निकाली जाएगी। सम्मेलन में अनेक मठ प्रमुख, राजनेता व्याख्याता भाग लेंगे।
संविधान के अनुच्छेद 496 को रद्द करने के बारे में पूछे सवाल पर माते महादेवी ने कहा कि विवाहेत्तर संबंधों को अपराध नहीं मानने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला आघातकारी है। पति- पत्नी के बीच परस्पर विश्वास ही गृहस्थी का मूल आधार है और विश्वास को चोट पहुंचने पर गृहस्थी चलाना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए और न्यायालय को भारतीय संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए। इस अवसर पर बसव कुमारस्वामी, अध्यक्ष चंद्रमौली लिंगायत आदि उपस्थित थे।
— आइएपी का वार्षिक सम्मेलन फरवरी में
बेंगलूरु. इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट (आइएपी) के 57वें वार्षिक सम्मेलन का आयोजन एक फरवरी से पैलेस ग्राउंड में होगा।
मीडिया प्रभारी डॉ. शत्रुंजय शरण (पीटी) ने बताया कि आवास एंव शहरी विकास मंत्री यू. टी.खादर ने हाल में पहले सम्मेलन संबंधित वेबसाइट का उद्घाटन किया। 24 वर्ष के बाद शहर में आइएपी के सम्मेलन होगा। डॉ. ललिता सिंह (पीटी) ने कहा, देश-विदेश के करीब 6000 फिजियोथैरेपिस्ट इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। बेहतर फिजियोथैरेपी सुविधा व सेवाओं के विस्तार सहित फिजियोथैरेपी काउंसिल के गठन आदि विषयों पर मंथन करेंगे।