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स्थानीय शहरी निकाय चुनाव : होगी कांग्रेस और जद-एस गठबंधन की अग्नि परीक्षा

locationबैंगलोरPublished: Aug 03, 2018 06:58:03 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

70 फीसदी सीटें उत्तर कर्नाटक में

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बेंगलूरु. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ही राज्य में सत्तारुढ़ कांग्रेस और जद-एस गठबंधन सरकार को पहली राजनीतिक अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ेगा। राज्य चुनाव आयोग ने गुरुवार को राज्य के करीब 50 फीसदी शहरी निकायों के चुनाव कराने की घोषणा कर दी। हालांकि, दोनों ही दल फिलहाल चुनाव टाले जाने के पक्ष में थे लेकिन आयोग ने इन निकायों का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही चुनाव कराने का निर्णय लिया। आयोग के इस फैसले से गठबंधन के दोनों घटकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
इस महीने के अंत में होने वाले निकाय चुनाव तीन महीने पुरानी एच डी कुमारस्वामी सरकार के लिए जनमत संग्रह भले ना हो लेकिन इससे सरकार के प्रति लोगों के रुझान का पता चलेगा। अगर सत्तारुढ़ गठबंधन बढ़त हासिल नहीं कर पाया तो इससे विपक्षी भाजपा को फायदा मिलेगा और वह निकाय चुनाव परिणामों को कांग्रेस और जद-एस के खिलाफ भुनाने की कोशिश करेगी। वर्ष 2013 में इन निकायों के लिए चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिली थी और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता मिली थी लेकिन इस बार हालात अलग हैं।
गठबंधन के दोनों घटकों में स्थानीय स्तर पर तालमेल को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ है और इस बात की प्रबल संभावना है कि दोनों दल अलग-अलग ही मैदान में उतरे। इससे पहले 2004 से 2006 के बीच जब धरम सिंह के नेतृत्व में गठबंधन सरकार थी तब भी दोनों दल स्थानीय निकाय चुनाव अलग-अलग ही लड़े थे। हालांकि, दोनों दल अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में गठबंधन की घोषणा पहले ही कर चुके हैं।
इस चुनाव में कुल 2574 वार्ड सदस्यों के लिए चुनाव होगा। जिन 105 शहरी निकायों के लिए चुनाव की घोषणा हुई है उनमें से 70 फीसदी उत्तर कर्नाटक में हैं, उपेक्षा के आरोप के कारण सत्तारुढ़ गठबंधन को लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है।
गुरुवार को ही उत्तर कर्नाटक के जिलों में अलग राज्य की मांग को लेकर कुछ संगठनों ने बंद का भी आह्वान किया था। हालांकि, प्रमुख संगठनों के पीछे हट जाने के कारण बंद बेसर रहा लेकिन शहरी निकाय चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव में भी उत्तर कर्नाटक के मसले का असर पड़ेगा। उत्तर कर्नाटक में जद-एस का प्रभाव सीमित है और पूरे विवाद के कारण कांग्रेस को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष गोविंद कारजोल ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद कहा कि उनकी पार्टी कुमारस्वामी सरकार द्वारा उत्तर कर्नाटक के उपेक्षा के मसले को उठाएगी। कारजोल ने कहा कि इस इलाके में जद-एस का ज्यादा असर नहीं है इसलिए भाजपा उत्तर कर्नाटक के लिए अधिक बजट आवंटित कराने में गठबंधन भागीदार के तौर पर कांग्रेस की विफलता को उजागर करेगी। कारजोल ने कहा कि इस इलाके में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधी लड़ाई है।
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