प्रति माह दो हजार करोड़ का कारोबार एक अनुमान के अनुसार शहर के मॉल्स में दस हजार से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। दुकानें बंद होने के कारण कर्मचारियों को वेतन देना दुकानदारों पर भारी पड़ रहा है। बेंगलूरु शहर के 26 मॉल्स समेत राज्य में मॉल्स की संख्या 286 है। इनमें प्रति माह 2 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है। इसमे से 50 फीसदी कारोबार बेंगलूरु शहर के मॉल्स में ही होता है। सैकड़ों कर्मचारियों का जीवन मॉल्स के कारोबार पर ही निर्भर है।राज्य सरकार को भारी नुकसानकारोबार ठप होने के कारण राज्य सरकार को वस्तु एवं सेवा कर से होने वाली करोड़ों रुपए की आय ठप हो गई है।
मॉल्स में स्थित मल्टीप्लैक्स बंद होने से सरकार को मनोरंजन कर से हाथ धोना पड़ रहा है। मार्च-अप्रैल तथा मई में मॉल्स बंद होने से फिल्मों का प्रदर्शन नहीं हुआ। इससे फिल्म जगत को काफी नुकसान हुआ है। गङ्क्षंंर्मयों के अवकाश के कारण मॉल्स में इस कार्यकाल के दौरान ही कारोबार चरम पर रहता है।
दुकानदार बोले हर शर्त मानने को तैयार दुकानदारों का कहना है कि राज्य सरकार को शर्तों के साथ मॉल्स में कारोबार की अनुमति देनी चाहिए। अभी तक राज्य सरकार ने कई क्षेत्रों को छूट दी है। दुकानदार कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सामाजिक दूरी समेत राज्य सरकार की हर शर्त को मानने के लिए तैयार होने कारण दुकानें खोलने की अनुमति मिलनी चाहिए।
सभी को मिले राहत चिकपेट के विधायक तथा मॉल मालिक उदय गरुड़ाचार के मुताबिक राज्य सरकार को मॉल मालिकों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। लॉकडाउन के चलते मॉल मालिकों को दुकानों से किराए से होने वाली आय नहीं मिल रही है। एक माह तो किराए में छूट दी गई थी लेकिन किराए में बार-बार छूट देना संभव नहीं है। दुकानदारों को भी किराए का भुगतान करना संभव नहीं हो रहा है। इस समस्या का समाधान शीघ्र किया जाना चाहिए। इससे मॉल के मालिक, दुकानदार तथा यहां पर कार्यनिरत कर्मचारी सभी को राहत संभव है। मॉल्स शुरू होने से राज्य सरकार को भी राजस्व मिलेगा।
केंद्र सरकार की मार्गसूची का इंतजार उधर, बीबीएमपी के आयुक्त बीएच अनिलकुमार के मुताबिक मॉल्स में सैकड़ों लोगों की आवाजाही होने से कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर शहर के 26 मॉल्स पर प्रतिबंध लगाया गया है। लिहाजा केंद्र सरकार की मार्गदर्शक सूची के मुताबिक ही आगे की कार्रवाई संभव है।