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बैंगलोर

प्रवासी मजदूरों को वापस लाने की कवायद

निर्माण गतिविधियां 30 से 40 फीसदी प्रभावितमजदूरों को प्रशिक्षित कर बनाएंगे निर्माण मजदूर

बैंगलोरJun 09, 2020 / 05:53 pm

Rajeev Mishra

 Migrant labourer

Migrant labourer

बेंगलूरु.
कोरोना लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के अपने गृह राज्य लौटने के बाद शहर के बिल्डर उन्हें वापस लाने की कवायद में जुट गए हैं। लॉकडाउन प्रतिबंध हटते ही निर्माण उद्योग मजदूरों की कमी से जूझने लगा है।
दरअसल, लॉकडाउन घोषित होते ही निर्माण परियोजनाएं बंद हो गईं थीं और दैनिक मजदूरी करने वाले प्रवासी श्रमिक बेरोजगार हो गए। परियोजनाएं ठप होने से उनका भुगतान बंद हो गया और उनके सामने पैसे का संकट खड़ा हो गया। ऐसे हालात में मजदूरों के पास अपने गृह राज्य लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। जिन्हें जो साधन मिला उसी से रवाना हो गए। हजारों मजदूर पैदल ही अपने गांव की ओर निकल पड़े। हालांकि, बाद में केंद्र सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई और अभी तक 216 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 3.11 लाख श्रमिक अपने राज्य लौट चुके हैं। अब बिल्डरों के सामने मजदूरों का संकट खड़ा हो गया है। एक बिल्डर ने बताया कि मजदूरों को वापस लाने के लिए रेलवे से विशेष ट्रेनें चलाए जाने की भी बात हो रही है। जब मजदूर अपने गांव लौट रहे थे तब उनसे उनका संपर्क नंबर लिया गया था। उनसे संपर्क स्थापित किया जा रहा है और वापस आने के लिए समझाया जा रहा है। हालांकि, इस संदर्भ में अभी कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
दिवाली से पहले सामान्य हो जाएंगी गतिविधियां: किशोर जैन
पत्रिका से बात करते हुए क्रेडाई के अध्यक्ष किशोर जैन ने कहा कि मजदूरों के वापस जाने से निर्माण कार्य पर असर पड़ा है लेकिन, इससे उबरने की कोशिशें भी हो रही हैं। उन्होंने बताया कि दो तरह के प्रयास हो रहे हैं। एक तो मजदूरों को प्रशिक्षण देकर उन्हें निर्माण मजदूर बनाया जाएगा ताकि प्रवासी मजदूरों पर निर्भरता थोड़ी कम हो सके। हालांकि, प्रवासी श्रमिकों पर निर्भरता खत्म नहीं होगी लेकिन कम जरूर होगी। राज्य के दूसरे जिलों के मजदूरों को इसमें लगाया जाएगा। दूसरा, चूंकि, राज्य में जो भी आता है उसे 14 दिन क्वारंटाइन में रहना अनिवार्य है इसलिए सरकार से बात हो रही है कि प्रवासी श्रमिकों के लिए कोई राह निकाली जाए। अगर प्रवासी श्रमिक लौटते हैं और उन्हें क्वारंटाइन में रख दिया जाए तो इससे निर्माण साइट पर कार्य प्रभावित होगा। इसलिए वैसे मजदूर जो कोरोना पॉजिटिव होते हैं उन्हें ही क्वारंटाइन करने की व्यवस्था हो। राज्य के मजदूरों को लाने के लिए बसों की व्यवस्था हो रही है।
उन्होंने कहा कि उम्मीद नहीं थी कि दिवाली से पहले रीयल एस्टेट में गतिविधियां सामान्य होंगी लेकिन हालात सुधरने लगे हैं और दिवाली से पहले काफी बेहतर स्थिति हो जाएगी। हालांकि, नई परियोजनाएं अभी एक या दो तिमाही तक लांच होने की उम्मीद कम है। उन्होंने बताया कि मजदूरों के लौटने के कारण निर्माण गतिविधयां 30 से 40 फीसदी तक प्रभावित हुई हैं लेकिन बंद नहीं हुई हैं। मजदूरों का लौटना शुरू हो गया है। देश में लगभग 15 करोड़ भूमिहीन मजदूर हैं और वे सिर्फ मनरेगा जैसे कार्यक्रमों पर आश्रित नहीं हो सकते।

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