भगवान महावीर स्वयं अहिंसा थे-डॉ. कुमुदलता
बैंगलोरPublished: Apr 06, 2020 06:40:37 pm
महावीर जन्मकल्याणक पर विशेष प्रवचन
भगवान महावीर स्वयं अहिंसा थे-डॉ. कुमुदलता
मैसूर. साध्वी डॉ. कुमुदलता ने कहा कि भगवान महावीर अहिंसा के अवतार ही नहीं बल्कि स्वयं अहिंसा ही थे। अहिंसा को उन्होंने अनेक आयामों में देखा और अनुभव किया। चलते-फिरते प्राणियों में तो जीवन सभी देख लेते है लेकिन महावीर ऐसे अहिंसा पुरुष थे जिन्होंने पृथ्वी, जल, नभ, अग्नि, वायु और वनस्पति तक में जीवन देखा और अपने को उनके समकक्ष रखा। महावीर की पहचान अहिंसा से है और विश्व का भविष्य भी अहिंसा से ही है। आज हिंसा और आतंकवाद से घिरी दुनिया में अमन चैन लाने के लिए अहिंसक शक्तियों का आगे आना ही होगा।
महावीर ने अहिंसा, संयम, तप को धर्म का प्राण बताया है। जिस धर्म में इनकी पूजा हो, इन्हें जीने की प्रेरणा हो और इनका मूल्य हो, देव गुरु धर्म के प्रति समर्पण हो उसे जीवन में कोई समस्या छू भी नहीं सकती है।
उन्होंने कहा कि पूरा विश्व समस्याओं से ग्रस्त है ऐसे में महावीर के सिद्धांत उन समस्याओं का समाधान करने में सहायक है। चाहे वह घर परिवार की समस्या हो, समाज की हो या देश की उन सभी समस्याओं का सार्थक निदान प्रभु महावीर ने दिया है। आज वर्तमान में महावीर के सिद्धांतों की आवश्यकता है। संपूर्ण विश्व को प्रभु महावीर के चरित्र से शिक्षा लेते हुए अख्ंाडित संकल्प धारण करना चाहिए।
साध्वी डॉ. कुमुदलता ने गेलेक्सी कन्वेंशन सेंटर में अपने विचार रखते हुए कहा कि मनुष्य का यह जीवन अनमोल है। 84 लाख योनियों में भटकने के बाद यह मानव जन्म हमें मिला है। हम धर्म का आचरण कर मनुष्य जन्म को सार्थक करें।