भाजपा को नए चेहरे की तलाश के कारण अपने पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। कुछ क्षेत्रों में नाराज नेता बागी उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने की बात कह रहे हैं। तीनों दलों में टिकट बंटवारे को लेकर चल रहे घमासान के कारण अब तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है। १६ अक्टूबर तक नामांकन पत्र दाखिल किए जा सकते हैं। कांग्रेस के लिए तीनों लोकसभा क्षेत्र परेशानी का सबब बने हुए हैं। सत्तारुढ़ गठबंधन में बंटवारे को लेकर बनी सहमति के मुताबिक कांग्रेस ने रामनगर विधानसभा और मण्ड्या लोकसभा क्षेत्र जद-एस के लिए छोड़ी है।
कांग्रेस को जमखंडी विधानसभा के अलावा बल्लारी और शिवमोग्गा लोकसभा सीट मिली है। जमखंडी में कांग्रेस पिछले चुनाव में जीती थी और वहां उसे उम्मीदवार चयन को लेकर ज्यादा समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है। हालांकि, बल्लारी में कांग्रेस को उम्मीदवार चयन को लेकर आंतरिक असंतोष का सामना करना पड़ रहा है।
शिवमोग्गा को लेकर कांग्रेस और जद-एस के बीच अभी भी तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं है। दोनों ही दल यहां से उम्मीदवार उतारने के का दावा कर रहे हैं लेकिन किसी के पास भी ऐसा चेहरा नहीं है जो विपक्ष के उम्मीदवार को कड़ी चुनौती दे सके। कांग्रेस के कोटे में सीट आने के बावजूद जद-एस यहां से मधु बंगारप्पा को उतारने पर विचार कर रही है लेकिन मधु के राजी नहीं होने के कारण जद-एस कांग्रेस के लिए सीट छोडऩे को तैयार है। उधर, शिवमोग्गा को लेकर कांग्रेस में भी असमंजस की स्थिति है।
कांग्रेस के पास यहां पुराने नेताओं का ही सहारा है और पार्टी जिन नेताओं को उतारना चाहती है उनकी दिलचस्पी चुनाव लडऩे में नहीं है। रामनगर और मण्ड्या क्षेत्र छोडऩे को लेकर कांग्रेस नेताओं में प्रदेश से लेकर निचले स्तर तक मतभेद हैं। वोक्कालिगा बहुल दोनों ही क्षेत्रों में कांग्रेस के स्थानीय नेता गठबंधन के तहत चुनाव में उतरने और जद-एस के लिए सीट छोडऩे का विरोध कर रहे हैं। बल्लारी में उम्मीदवार के चयन को लेकर भी कांग्रेस नेता एकमत नहीं हैं।
जद-एस को मण्ड्या सीट के लिए उम्मीदवार चयन को लेकर मशक्कत करनी पड़ रही है तो परिवार के सदस्य को ही उम्मीदवार बनाने के फैसले के कारण रामनगर में स्थानीय कार्यकर्ताओं में रोष है। गठबंधन के विपरीत भाजपा को रामनगर और मण्ड्या में मजबूत जनाधार नहीं होने के बावजूद स्थानीय नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। दोनों ही क्षेत्रों में भाजपा ने मजबूत उम्मीदवार की तलाश में कुछ बाहरी चेहरों को हाल में पार्टी में शामिल किया है और उन्हें टिकट दिए जाने की प्रबल संभावना के कारण स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।