कांग्रेस के कोटे में सीट जाने के बावजूद शिवमोग्गा को लेकर जद-एस की जिद बनी रही। कांग्रेस को शिवमोग्गा में ऐसा कोई चेहरा नहीं मिला जो येड्डियूरप्पा को उनके गृह क्षेत्र में मजबूत चुनौती दे सके।
पार्टी ने पूर्व मंत्री किम्मने रत्नाकर सहित कई नेताओं को उतारना चाहा लेकिन किसी ने भी चंद महीनों के कार्यकाल के लिए चुनाव लडऩे में दिलचस्पी नहीं ली। शिवमोग्गा में पार्टी के पास सिर्फ पुराने चेहरों का ही सहारा था लेकिन उनके भी रूचि नहीं लेने के कारण प्रदेश नेताओं में जद-एस के लिए सीट छोडऩे पर सहमति बनी लेकिन ऐसी स्थिति में अगले लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर भी जद-एस की दावेदारी की संभावना के कारण कांग्रेस के नेता सीट छोडऩे के लिए तैयार नहीं थे।
बताया जाता है कि शनिवार को बेंगलूरु के दौरे पर आए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान भी मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने इस मसले को उठाया था और पार्टी के लिए इस सीट की मांग की थी।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि राहुल और कुमारस्वामी की मुलाकात के बाद ही यह तय हो गया था कि पार्टी शिवमोग्गा सीट जद-एस के लिए छोड़ेगी। रविवार को देवेगौड़ा ने कुमारस्वामी और बाकी नेताओं के साथ लंबी बैठक के बाद कुमारस्वामी की पत्नी अनिता के रामनगर, मधु के शिवमोग्गा और शिवराम गौड़ा के मण्ड्या से चुनाव लडऩे की घोषणा की।
कांग्रेस पहले ही जमखंडी से सिद्धू न्यामेगौड़ा के बेटे आनंद को टिकट देने घोषणा कर चुकी है लेकिन बल्लारी की गुत्थी नहीं सुलझ पा रही है। भाजपा ने बल्लारी से पूर्व सांसद जे. शांता के अलावा रामनगर से चंद्रशेखर लिंगप्पा, जमखंडी से पूर्व विधायक श्रीकांत कुलकर्णी और मण्ड्या से पूर्व सरकारी अधिकारी डॉ सिद्धरामयय को टिकट देने की घोषणा की है।
चंद्रशेखर और सिद्धरामय्या पिछले सप्ताह ही भाजपा में शामिल हुए थे। चंद्रशेखर रामनगर जिले के एक कांग्रेसी विधान पार्षद के बेटे हैं।