कामयाब हुए दल-बदलू महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में दल-बदलुओं को मिली करारी शिकस्त के विपरीत कर्नाटक में कांग्रेस और जद-एस से पाला बदलकर भाजपा में आए अधिकांश अयोग्य विधायक फिर एक बार चुनाव जीतने में कामयाब हुए है। भाजपा ने अयोग्य ठहराए गए 17 में से 16 पूर्व विधायकों को पार्टी में शामिल कराया और उनमें से 13 को टिकट दिया ( दो विधानसभा सीटों पर अभी उपचुनाव नहीं हो रहे)। इन 13 में से 11 दल-बदलू चुनाव जीत गए हैं। सिर्फ होसकोटे में भाजपा की बगावत के कारण एमटीबी नागराज हार के कागार पर हैं वहीं, हुणसूर में जद-एस के पूर्व अध्यक्ष एएच विश्वनाथ को अपनी सीट गंवानी पड़ेगी। रानीबेन्नूर में भाजपा ने आर.शंकर के खिलाफ स्थानीय स्तर पर आक्रोश को देखते हुए अरुण कुमार को प्रत्याशी बनाया और जीत दर्ज की।
भाजपा के लिए अप्रत्याशित परिणाम दरअसल, लोकसभा चुनावों में 28 में से 25 सीटें जीतने वाली भाजपा के लिए विधानसभा उपचुनावों के परिणाम भी अप्रत्याशित रहे। लोकसभा चुनावों में भाजपा 22 सीटें जीतने का लक्ष्य रखी थी लेकिन, उसे 25 सीटों पर जीत मिली। उपचुनावों में भी भाजपा के 8 सीटें जीतने का अनुमान था लेकिन, आंकड़ा 12 तक पहुंच गया। राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा की सटीक रणनीति के साथ विपक्ष की कमजोरी मान रहे हैं। जहां भाजपा ने अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखने वाले अयोग्य उम्मीदवारों को टिकट दिया वहीं, येडियूरप्पा ने बेहद चतुराई से उन्हें भविष्य का मंत्री कह उनके पक्ष में हवा बनाई। दूसरी तरफ, कांग्रेस-जद-एस ने एक तो कमजोर प्रत्याशी खड़े किए दूसरा कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के खिलाफ मतों का बंटवारा कांग्रेस-जद-एस के बीच हुआ जिसका लाभ उसे मिला। अब 15 विधानसभा सीटों में से 12 जीतकर 225 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा की संख्या 118 हो गई है और वह बहुमत के आंकड़े 113 को आसानी से पार कर पूर्ण बहुमत में आ गई है। अगर भाजपा यहां 6 से कम सीटें जीतती तो यहां फिर एक बार महाराष्ट्र की कहानी दोहराई जाती लेकिन, किस्मत ने येडियूरप्पा का साथ दिया।