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मां ममता का पुण्य प्रसाद : मुनि सुधाकर

locationबैंगलोरPublished: Nov 26, 2020 12:22:47 pm

मां की ममता पर कार्यशाला

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बेंगलूरु. मुनि सुधाकर ने तेरापंथ भवन में तेरापंथ महिला मंडल हनुमंतनगर द्वारा आयोजित स्वस्थ समाज स्वस्थ परिवार के अंतर्गत मां की ममता विषय पर कार्यशाला में मुनि ने कहा कि मां एक पूर्ण शब्द है। एक ग्रंथ है, एक विश्वविद्यालय है। विश्व के सभी ग्रंथ और धर्म में मां की महिमा गाई गई है।
मां की ममता अद्भुत है। मां त्यागमयी दयामयी क्षमामयी, सत्यमयी और स्नेहमयी होती है। मां के ऋण से अऋण होना असंभव है। मां ममता का पुण्य प्रसाद है। पत्नी पसंद से मिल सकती है पर मां पुण्य से मिलती है।
मुनि ने कहा कि भारतीय संस्कृति में चार आश्रम की कल्पना की गई है। वृद्ध आश्रम कहां से आया नहीं पता। यह हमारी संस्कृति व संस्कार का शब्द नहीं है। वृद्ध आश्रम आयातित शब्द है। पाश्चात्य देशों से आया है। वृद्धों को आश्रम की नहीं, आश्रय की जरूरत है।
कार्यशाला का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल ने मंगलाचरण से किया। स्वागत मंडल अध्यक्ष मंजू दक ने किया इस अवसर पर तेरापंथ सभा मंत्री हरक चंद ओस्तवाल, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष पवन बोथरा, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल कार्यकारिणी सदस्य शशि कला ने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में महिला मण्डल से उपाध्यक्ष अरुणा श्रीश्रीमाल, कांता धोका, मंत्री लाजवंती कातरेला, सहमंत्री भावना कोठारी, रचना सेठिया, कोषाध्यक्ष मीनाक्षी देरासरिया, युवक परिषद मंत्री धर्मेश कोठारी का विशेष सहयोग रहा। आभार तारा कटारिया ने किया व संचालन संगीता तातेड़ ने किया।
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