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महालक्ष्मी जन्मोत्सव मनाया

locationबैंगलोरPublished: Oct 04, 2018 03:48:39 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

आचार्य रमेशभाई बोहरा के सान्निध्य में महालक्ष्मी की पूजन किया गया

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महालक्ष्मी जन्मोत्सव मनाया

बेंगलूरु. राजस्थान श्रीमाली ब्राह्मण समाज बेंगलूरु का 15वां महालक्ष्मी जन्म उत्सव मंगलवार को विश्वकर्मा मंदिर जांगिड़ समाज भवन ट्रस्ट बिन्नीपेट में धूमधाम से मनाया गया। आचार्य रमेशभाई बोहरा के सान्निध्य में महालक्ष्मी की पूजन किया गया। लाभार्थी राजेंद्रकुमार केवलराम बोहरा परिवार था। अध्यक्ष पृथ्वीराज ठाकुर ने धन्यवाद दिया।

अनुमोदना के पाप पर अंकुश रखें
बेंगलूरु. शांतिनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ में आचार्य महेंद्र सागर सूरी ने कहा कि कर्म बंध के तीन कारण है जिससे पाप कर्म किए जाते हैं।
किसी प्राणी की हिंसा करने के लिए स्वयं उस पर हमला करना, नौकर चाकर आदि को भेजकर प्राणी का घात कराना और सबसे भयंकर प्राणीघात करने की मन में अनुज्ञा देना, मतलब कि मन से उसे बुरा न समझना। इस सीमा को विस्तारित करें तो पाप करने में करने वाले सभी जीवों की अनुमोदना उनके पाप कृत्यों को अच्छा समझना शामिल है। जहां कहीं भी दूसरे द्वारा पाप किए जाते हैं उन्हें भला समझकर उसका भागीदार होना। इस अनुमोदना के पाप पर अंकुश रखना चाहिए।

गिरते को उठाएं
चामराजनगर. गुंडलपेट स्थानक में साध्वी साक्षी ज्योति ने धर्मसभा में कहा कि सज्जन व्यक्ति किसी को गिराते नहीं है बल्कि गिरते हुए को ऊपर उठाते हैं। जिस किसी भी तरह का सहयोग चाहिए तो सहयोग देते हैं। शक्ति की जरुरत है तो शक्ति का संप्रेषण करते हैं, उत्साह में कमी है तो उसमें उत्साह भरते हैं। गिरने व गिराने में समय नहीं लगता है बल्कि उठने व उठाने में समय लगता है। गिराने वाले लोग दुनिया में बहुत होते हैं, उठाने वाले कम हैं। हौसला देना किसी को संजीवनी पिलाने के समान है, यह मरते हुए को जिलाने व गिरते हुए को उठाने का काम है। इसलिए परमात्मा कहते हैं।

मेहमानों का सत्कार सम्मान करें
बेंगलूरु. साध्वी प्रियदिव्यांजनाश्री ने कहा कि धर्म दो प्रकार के क्रियात्मक और गुणात्मक हैं। सामायिक, पूजा, वंदन, जाप, प्रतिक्रमण आदि क्रियात्मक धर्म है जबकि प्रेम, वात्सल्यता, प्रशंसा, उदारता, विनम्रता आदि गुणात्मक धर्म है। जिस प्रकार पैसा कमाने के लिए दुकान जाना होगा। सामायिक जब क्रियात्मक धर्म है, तब समता गुणात्मक धर्म कहलाती है। मेहमान घर में अभाव, प्रभाव और स्वभाव के कारण आते हैं। वैसे ही व्यक्ति सद्गुणों के अभाव के कारण, परमात्मा के शासन का प्रभाव देखकर व गुरुजनों के प्रेम भरे स्वभाव के कारण धर्म करता है। हमें मेहमानों का सत्कार सम्मान करें।
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