खुद को बनाएं विश्व शांति का पथिक डॉ. दर्शनप्रभा
खुद को बनाएं विश्व शांति का पथिक डॉ. दर्शनप्रभा
बेंगलूरु. गुरु ज्येष्ठ पुष्कर दरबार में विराजित डॉ. समृद्धिश्री ने कहा कि वर्तमान समय में सभी प्रबुद्ध और शांतिप्रिय व्यक्तियों का यह दायित्व है कि वह संसार में प्रेम भाइचारा और शांति की स्थापना में अपनी आहुतियां समर्पित करें। यदि संसार सुखमय शांति में आनंदमय रहेगा तो इसमें रहने वाला प्रत्येक इंसान प्रत्येक प्राणी का जीवन सुख शांति आनंद से परिपूर्ण हो सकेगा। आज अगर दुनिया में कहीं भी त्राहि-त्राहि मची है, बम विस्फोट होता है, कत्लेआम किया जाता है तो यह ना समझें क्यों किसी एक देश में हो रहा होगा। उसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ता है। क्योंकि जिस तरह सागर में एक लहर उठती है तो वह कहीं तक सीमित नहीं रहती। जहां से उठ रही है वह आगे बढ़ती जाती है। जब तक आप को समाप्त होने के लिए किनारा नहीं मिल जाता। उसी तरह संसार के किसी भी देश में घटने वाली घटना का विश्वव्यापी प्रभाव होता है। डॉ. दर्शनप्रभा ने कहा हमें पूरे विश्व के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। क्योंकि हमें इसी विश्व में रहना है। इस पृथ्वी ग्रह पर लोगों का पालन पोषण हो रहा है हमारा दायित्व है। भगवान महावीर से हिंसा की बात कि आज उनके अनुयाई अहिंसा का पालन अवश्य कर रहे हैं। उनके संत जैन मुनि जन समन्वय हिंसा की ऊंचाई तक इसका पालन कर रहे हैं। यहां तक कि नंगे पांव पैदल चल रहें ताकि उनके दर शुभ समय से सूक्ष्म जीव की हिंसा भी ना हो। लेकिन आज समस्या सूक्ष्म जीवों को बचाने के नहीं पूरे विश्व को बचाने की है।