बैंगलोर

स्वयं को मंदिर जैसा पवित्र बनाएं: डॉ. महाप्रज्ञा

श्रीरंगपट्टण में प्रवचन

बैंगलोरOct 23, 2020 / 10:39 pm

Santosh kumar Pandey

बेंगलूरु. श्रीरंगपट्टण के गुरु दिवाकर मिश्री राज दरबार में साध्वी कुमुदलता के सान्निध्य में साध्वी डॉ. महाप्रज्ञा ने कहा कि मनुष्य जीवन का एक महानतम मंदिर है। इसलिए इन्सान जीवन के प्रति वैसा पवित्र और सौम्य व्यवहार शुरू कर दे जैसा वह मन्दिर के प्रति करता है तो जिन्दगी की अधिकांश समस्याएं स्वत: हल हो जाएंगी। इतना ही नहीं जीवन की ऊर्जा भी सृजनात्मक बनकर निखर उठेगी।
उर्जा को जब सार्थक आयाम नहीं मिलता, तभी जिन्दगी तनाव और घृणा का आलय बनती है। इसलिए सतत स्मरण रहे कि मेरे भीतर परमात्मा विराजमान हैं। मैं स्वयं एक मन्दिर हूं इस नजरिए के साथ जीओगे तो मन गुलाब की भांति खिल उठेगा। जीवन की हर सुवास बन जाएगी और जिव्हा से अनूठी मिठास बरसेगी। ऐसा आंतरिक नजरिया बना रहा तो विषम वातावरण भी अमृतमय हो जाएगा।
साध्वी पद्मकिर्ती ने श्रीपाल रास का वाचन शुरू किया। साध्वी महाप्रज्ञा ने उत्तराध्ययन सूत्र की गाथा का अनुष्ठान सोशल मीडिया के जरिए कराया। अनुष्ठान के लाभार्थी श्रीरंगपट्टण के रतनलाल, जितेंद्रकुमार दक, रोशनलाल, प्रदीपकुमार, अनिलकुमार नंदावत तथा मैसूरु के बुधमल, रतनलाल, शांतिलाल मूथा रहे।
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