बेंगलूरु. राजधानी से 50 किलोमीटर दूर कोलार जिले के मालूर में मंगलवार तड़के एक पुलिस अधिकारी ने सर्विस रिवॉल्वर से गोली चलाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार राघवेंद्र (42) एक साल से मालूर सर्कल के पुलिस निरीक्षक के तौर पर कार्यरत थे। सोमवार शाम को सभी पुलिस कास्टेबलों को गश्ती पर भेजकर वे खुद भी गश्ती पर निकले गए।
तड़के 4 बजे राघवेंद्र थाने लौटे। यहां उन्होंने गणवेश बदलकर सादा पेंट-टी शर्ट पहन ली और ड्रेसिंग रूम में जाकर सर्विस रिवॉल्वर से दाईं कनपटी पर गोली चला दी।गोली कनपटी को भेदते हुए कमरे की खिड़की में लगे शीशे को तोड़कर बाहर निकल गई। गोली की आवाज सुन पुलिस कर्मी मौके पर पहुंचे।
सूचना मिलते ही पुलिस महानिरीक्षक (मध्यक्षेत्र) सीमंत कुमार सिंह और कोलार जिले की पुलिस अधीक्षक दिव्या गोपीनाथ मौके पर पहुंचीं। जरूरी कारवाई के बाद शव का कोलार के आर.एल.जालप्पा अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया और परिजनों को सौंपा। एसपी दिव्या गोपीनाथ ने बताया कि राघवेंद्र ने आत्महत्याकरने से पहले सुसाइड नोट लिख छोड़ा है। उन्होंने नोट में आत्महत्या के लिए खुद को जिम्मेदार बताया है। राघवेंद्र पर कोई दबाव नहीं था। उन्होंने आज तक कोई शिकायत भी नहीं की थी। आत्महत्या के कारणों का फिलहाल पता नहीं चल पाया है।
राजनीतिक दखल का आरोप
राघवेंद्र की पत्नी चैत्रा ने आरोप लगाया है कि उनके पति राघवेंद्र पर राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा था। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से कोई सहयोग नहीं मिलता था। बजरी माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने पर राघवेंद्र को धमकियां मिलती थीं। इसका जिक्र राघवेंद्र ने कई बार मुझे से किया था।
धरना
इधर, घटना के बाद राघवेंद्र के समर्थकों ने थाने के बाहर धरना देकर दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग की। पुलिस अधीक्षक दिव्या गोपीनाथ ने जांच पूरी होने के बाद दोषियों को गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दिलाने का आश्वासन दिया। इस बावत मालूर थाने में मामला दर्ज किया गया है। राघवेंद्र का बुधवार को नरसपुर गांव में अंतिम संस्कार होगा।
तीन महीने में तीसरी घटना
राज्य में पिछले तीन महीने के दौरान पुलिस अधिकारियों के आत्महत्य की यह तीसरी घटना है। इससे पहले जुलाई में पुलिस उपाधीक्षक कलप्पा हंडीबाग और एम के गणपति ने आतमहत्या कर ली थी।