मनुष्य का शरीर और मस्तिष्क रहस्यों का भंडार-मुनि सुधाकर
बेंगलूरु. आचार्य महाश्रमण के शिष्य मुनि सुधाकर के पावन सान्निध्य में हनुमंतनगर स्थित तेरापंथ भवन में नवान्हिक आध्यात्मिक अनुष्ठान के अंतिम दिवस का शुभारंभ तेयुप के सदस्यों के मंगलाचरण से हुआ। अतिथियों का स्वागत सभाध्यक्ष सुभाष बोहरा ने किया। मुनि ने श्रद्धालुओं से धर्मचर्चा करते हुए कहा मनुष्य का शरीर और मस्तिष्क अद्भुत रहस्यों का भंडार है। उसके पास ज्ञान और शक्ति का असीम भंडार है। मुनि ने आगे कहा कि उसका उपयोग स्व-पर कल्याण के लिए सही दिशा में करना चाहिए। जो जीवन की अशुद्ध अवस्था है। वह आश्रव है। जो संवर है। वह शुद्ध अवस्था है। आश्रव पतन और बंधन का कारण है। संवर उत्थान व मुक्ति का हेतु है। आज नाना प्रकार के प्रलोभनों के जाल बिछे हुए हैं। जब तक स्वयं का विवेक और अनुशासन जागृत नहीं होता है। तब तक उनसे बचना कठिन होता है। हमारा मन बहुत चंचल है। वह थोड़े से समय में अपने कई रूप बदल लेता है। कभी उसमें से समता और पवित्रता की धारा प्रभाहित होती है। कभी वह बिल्कुल मलिन और कुल-षित हो जाता है। हमारी चेतना की धारा अग्नि शिखर कि ज्यों पूर्व मुखी होनी चाहिए। पानी की ज्यो निम्न मुखी नहीं। अग्नि का मुंह ऊपर की और रहता है। पानी नीचे की ओर बहता है। जैन ग्रंथों में वर्णित प्रसन्न चंद्र राजर्षि का उदाहरण मनो-भावो की शुद्धि और अशुद्धि का प्रमुख उदाहरण है। सभा से श्री गौतम दक, तेयुप से मंत्री श्री धर्मेश कोठारी, महिलामण्डल से अध्यक्ष मंजू दक, शशिकला नाहर ने अपने अपने विचार व्यक्त किया। परिषद उपाध्यक्ष कमलेश झाबक ने सभी अतिथियों का आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम संचालन सभा मंत्री हरकचंद ओस्तवाल ने किया।
Home / Bangalore / मनुष्य का शरीर और मस्तिष्क रहस्यों का भंडार-मुनि सुधाकर