मुनि ने कहा कि इस अमृत कलश से हम अपने जीवन की गलतियां ही नहीं, अपितु गति भी सुधार सकते हैं। जो हृदय में उतर सकता है वही प्रेम कर सकता है। प्रेम की अनुभूति हृदय के दायरे में प्रवेश करने के बाद ही होती है। इस संसार में दिमाग वाले तो बहुत हैं, दिलवाले कम हैं। लेकिन दिलवाले ही प्रेम मोहब्बत कर सकते हैं। सेवा करना मनुष्य का कर्तव्य है।
सेवा को कत्र्र्तव्य एवं धर्म बनाने की जरूरत है। बगैर कत्र्तव्य के की हुई सेवा से सुख की प्राप्ति यानी सुकून नहीं मिल सकता है। व्यक्ति का क्या कर्तव्य और उसके पालन हैं यह करने योग्य बात गुरुओं व समाज से ही मिलती है। प्रारंभ में उपाध्याय रविंद्र मुनि ने मंगलाचरण किया। रमणीक मुनि ने ओंकार का सामूहिक उच्चारण कराया। ऋषि मुनि ने गीतिका सुनाई। पारस मुनि ने मांगलिक प्रदान की। चिकपेट शाखा के महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने बताया कि मुनिवृन्द की निश्रा में शाम को गौतम स्वामी का 28 दिवसीय महामंगलकारी जाप सुचारू रूप से जारी है।
— कर्म काटने की कला है व्रत
बेंगलूरु. जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में महावीर धर्मशाला में बारह व्रत शिविर में जयधुरन्धर मुनि ने कहा कि भगवान महावीर के सिद्धांत त्रिकाल लाभदायक होते हैं। उन्होंने कहा कि इन व्रतों से आध्यात्मिक एवं आत्मिक लाभ के साथ ही सभी प्रकार की सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक समस्याओं का समाधान भी प्राप्त हो जाता है।
बेंगलूरु. जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में महावीर धर्मशाला में बारह व्रत शिविर में जयधुरन्धर मुनि ने कहा कि भगवान महावीर के सिद्धांत त्रिकाल लाभदायक होते हैं। उन्होंने कहा कि इन व्रतों से आध्यात्मिक एवं आत्मिक लाभ के साथ ही सभी प्रकार की सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक समस्याओं का समाधान भी प्राप्त हो जाता है।
आतंकवाद, चोरी, डकैती, बलात्कार, महंगाई, भ्रष्टाचार आदि से निजात मिल जाती है। इसीलिए कहा जाता है कि वर्तमान में वर्धमान के सिद्धांतों की आवश्यकता है। व्रत कर्म काटने की कला है। दान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य आदि में आने वाली अंतराय को आसानी से तोड़ा जा सकता है। सभा में चेन्नई के रायपुरम संघ के शिष्टमंडल ने गुरुदेव के समक्ष आगामी चातुर्मास की विनती रखी। रविवार को ‘नारी घर की धुरीÓ विषय पर विशेष प्रवचन होंगे।