प्रभु का प्रकटीकरण यानी अंजनशलाका-आचार्य चन्द्रयश
अंजनशलाका महोत्सव शुरू
बैंगलोर
Published: May 17, 2022 08:01:14 am
बेंगलूरु. यलचनहल्ली में नवनिर्मित शिखरबद्ध शांतिनाथ जिनालय प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए सोमवार को जीरावाला पाश्र्वनाथ, शंखेश्वर पाश्र्वनाथ आदिनाथ भगवान मुनीसुव्रत स्वामी भगवान आदि जिनबिम्बों की अंजन शलाका प्राण प्रतिष्ठा उत्सव जयनगर में हर्षोल्लास पूर्वक शुरू हुआ।
आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर की निश्रा में शुभ वेला में जयकारों के बीच 2200 वर्ष प्राचीन शांतिनाथ दादा की प्रतिमा की वेदिका के ऊपर स्थापना हुई। अंजन शलाका महोत्सव में सोमवार को पूजा पूजन हुआ, जिसमें वेदिका पूजन भैरव पूजन, क्षेत्रपाल पूजन, नवग्रह पाटला पूजन, दश दिक्पाल पाटला पूजन और अष्टमंगल पाटला पूजन का आयोजन हुआ। प्रतिष्ठाचार्य गुरुदेव ने कहा अंजनशलाका यानी परमात्मा में प्राण प्रतिष्ठा करने की क्रिया, पाषाण में से प्रभु का प्रकटीकरण यानी अंजनशलाका।
आचार्य ने कहा कि जीवन के अंदर श्रावक का एक ही लक्ष्य होना चाहिए परमात्मा के सिवा हमें कुछ अच्छा नहीं लगना चाहिए। परमात्मा हमको तारने वाले हैं। प्रभु तारणहार हैं हमारे जैसे मलिन आत्माओं को पावन करने काम परमात्मा का है। प्रभु खुद तो संसार सागर से तिर गए हैं। हमें भी तिराने वाले है। परमात्मा को रोज हमें प्रार्थना करनी चाहिए कि हे प्रभु तू हमको तारना यह प्रार्थना निरंतर करनी चाहिए मलिन मन को स्वच्छ करने की ताकत परमात्मा में है। दास को देव बनाने की ताकत परमात्मा में है। आराधक को आराध्य बनाने की ताकत परमात्मा में है। साधक को साध्य बनाने की ताकत परमात्मा में है। सच्ची श्रद्धा और समर्पण जिस दिन प्रभु के प्रति आ जाएगा उस दिन परमात्मा हमारे तारणहार बन जाएंगे। संसार का लक्ष्य कम करके प्रभु भक्ति का लक्ष्य बनाइए। रोहित गुरु ने पूजन करवाया।

प्रभु का प्रकटीकरण यानी अंजनशलाका-आचार्य चन्द्रयश
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