scriptमांझा पक्षियों के लिए बना जानलेवा | Manjha continues to injured and kill birds in Bengaluru | Patrika News
बैंगलोर

मांझा पक्षियों के लिए बना जानलेवा

– कोरोना महामारी के दौरान 104 फीसदी बढ़े मामले

बैंगलोरJan 15, 2021 / 08:21 pm

Nikhil Kumar

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बेंगलूरु. कांच व केमिकल युक्त मांझा (Manjha) काफी धारदार होता है। मांझा पर प्रतिबंध होने के बावजूद पतंग (Kite) के मांझे में फंसने या कटने से बड़ी संख्या में बेजुवान पक्षियों की मौत हो रही है। घायल अवस्था में कई पक्षियों को बचाया भी गया है। हालांकि, बीते एक वर्ष के दौरान घायल और मृत पक्षियों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ी है। कोरोना महामारी के बाद से अकेले बेंगलूरु शहर में ऐसी वारदातों में 104 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

गैर सरकारी संस्थान पीपल फॉर एनिमल्स (पीएफए) के महाप्रबंधक डॉ. कर्नल नवाज शरीफ ने बताया कि मकर संक्रांति के पहले और इसके बाद ज्यादा संख्या में लोग पतंगबाजी करते हैं। मांझे में फंसकर आए दिन पक्षी घायल हो रहे हैं।

पीएफए और वन्यजीव बचाव इकाई एवियन और रेप्टाइल पुनर्वास केंद्र (एआरआरसी) ने वर्ष 2019 के दौरान मांझे में फंसे 606 पक्षियों को बचाया था। लेकिन वर्ष 2020 से अब तक 1,240 से ज्यादा पक्षियों को बचाया गया है। ये बस वे मामले हैं जो संज्ञान में आ गए। समस्या इससे भी विकराल है।

नाम का प्रतिबंध, बाज नहीं आ रहे लोग
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने पारदर्शी नायलॉन स्ट्रिंग को प्रतिबंधित किया है। नायलॉन के साथ कांच की मौजूदगी मांझे को और धारदार बनाता है। नियमों का उल्लंघन करने पर पांच वर्ष तक की सजा हो सकती है या एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। गंभीर मामलों में जेल और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। बावजूद इसके इसकी सस्ती और आसान उपलब्धता ने पक्षियों को मुसीबत में डाल रखा है। लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।

पक्षियों के हड्डी तक कट जाती है
एआरआरसी की कार्यकारी निदेशक जयंती कल्लाम ने बताया कि बच्चों और किशोरों के साथ बड़े भी पतंगबाजी में शामिल हैं। कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान पतंगबाजी और बढ़ गई। ज्यादा संख्या में बड़े पक्षी मांझा से घायल हो रहे हैं। कईयों की मौत भी हुई है। ज्यादातर मामलों में इन मांझों में फंसने के बाद छटपटाते पक्षियों को देखे जाने की सूचना मिलती है।

जिसके बाद बचाव दल निकल पड़ता है। बड़े पक्षी आसानी से दिख जाते हैं लेकिन छोटे पक्षियों के साथ ऐसा नहीं है। बचाव से पहले ही वे दम तोड़ देते हैं। बचाए गए पक्षियों में कौवे, चील, उल्लू, इंडियन फ्लाइंग फॉक्स, दुर्लभ मामलों में पेलिकन, बार्बेट्स, कठफोड़वा, बुलबुल और मैना आदि शामिल हैं। उल्लू सबसे ज्यादा घायल पेड़ों पर लटके मांझों की वजह से होता है। कभी-कभी कुछ मांझे इतने खतरनाक होते हैं कि पक्षियों के हड्डी तक कट जाती है।

इन पॉश इलकों से ज्यादा मामले
कोरमंगला, डोमलूर, मजेस्टिक, शिवाजीनगर, हल्सूर, आर. टी. नगर, लालबाग, जयनगर, कब्बन पार्क, राजाजीनगर, बश्वेश्वरनगर, बसवनगुडी, चामराजपेट, मल्लेश्वरम, के. आर. मार्केट और जे.पी. नगर जैसे पॉश इलकों से पक्षियों के घायल होने या मरने के ज्यादा मामले सामने आए हैं।

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