कोविड के बीच शहर के कुछ अस्पतालों के चिकित्सकों ने कोविड (covid) से उबर चुके मरीजों में दुर्लभ व गंभीर संक्रमण देखे हैं। चिकित्सकीय भाषा में इसे म्यूकोरमाइकोसिस कहते हैं। यह एक तरह का फंगस संक्रमण (fungal infection) है जो कोविड से ठीक हुए मरीजों को ज्यादा चपेट में ले रहा है। मरीजों में मधुमेह (Diabetes) वाले ज्यादा हैं। कुछ मामलों में कोविड पॉजिटिव होने के दो-तीन दिन में ही मरीज इसकी चपेट में आए हैं। पहले भी यह बीमारी सामने आती थी लेकिन कोविड के मरीजों में खतरा अधिक है। वैसे प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के पास ऐसे मरीजों की कोई सूची नहीं है।
छह में से दो को बचाया नहीं जा सका
एस्टर सीएमआइ के चिकित्सकों ने 60-65 वर्ष के ऐसे छह मरीजों का उपचार किया है। दो को बचाया नहीं जा सका। इएनटी विशेषज्ञ डॉ. प्रतीक नायक ने बताया कि दोनों को कोविड के कारण भर्ती किया गया लेकिन दो दिनों में ही मधुमेह और रक्तचाप बढ़ गया। नाक से काला पस निकल रहा था। सीटी स्कैन और फिर एमआरआइ (CT SCAN and MRI) रिपोर्ट में साइनस कैवेटी (SINUS CAVITY) में संक्रमण की बात सामने आई। नाक के द्रव की बायोप्सी (biopsy) में म्यूकोरमाइकोसिस की पुष्टि हुई।
आंखों की रोशनी खोने के मामले भी
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रविंद्र मेहता ने बताया कि उन्होंने भी म्यूकोरमाइकोसिस के कुछ मरीजों का उपचार किया है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के दो सप्ताह बाद यह संक्रमण परेशान कर सकता है। बलगम जांच में इसका पता लगता है। इम्युनिटी कम होने के कारण मधुमेह वाले कोविड मरीजों में यह संक्रमण आम है। मरीज को धुंधला दिखाई देने लगता है और साइनस में संक्रमण हो जाता है। दिल्ली (Delhi) सहित देश के कई हिस्सों में मरीजों के आंखों की रोशनी खोने के मामले भी सामने आए हैं।
इसलिए है खतरनाक
नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि अमूमन यह नाक से शुरू होता है और नेजल बोन और आंखों (eyes) को खराब कर सकता है। एक बार फंगल होने के बाद तुरंत इलाज की आवश्यकता होता है। ऐसे में नाक में सूजन या अधिक दर्द, आंखों से धुंधला दिखाई देने के बाद तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। यह आंख की पुतलियों या आसपास के क्षेत्र को लकवाग्रस्त कर सकता है। ज्यादा दिनों तक बीमारी का लाइलाज छोडऩे से मस्तिष्क में संक्रमण बढऩे का खतरा रहता है।
ये भी हैं तथ्य
– म्यूकोरमाइकोसिस एक दुर्लभ फंगल संक्रमण है, जिसे पहले जाइगोमाइकोसिस नाम (previously called zygomycosis) से भी जाना जाता था।
– इस बीमारी में रोग और कीटाणु से लडऩे की क्षमता कम हो जाती है।
– चिकित्सकों के अनुसार आंख, गाल में सूजन और नाक (eyes, cheeks and nose) में रुकावट अथवा काली सुखी पपड़ी पडऩे के तुरंत बाद एंटीफंगल थैरेपी (antifungal therapy) शुरू कर देनी चाहिए।
– ज्यादातर ये फंगल संक्रमण फेफड़े (lungs) और त्वचा से शुरू होते हैं। चेहरे के एक तरफ सूजन, सिर दर्द, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपरी भाग में तकलीफ के साथ बुखार (fever) का होना इसका लक्षण हैं।