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खेल मैदान, शौचालय और पेयजल की कमी से जूझ रहे कई सरकारी स्कूल

locationबैंगलोरPublished: Mar 03, 2021 09:58:23 am

Submitted by:

Nikhil Kumar

– डीपीआइ की सरकार से 6840 स्कूलों के लिए फंड जारी करने की अपील

खेल मैदान, शौचालय और पेयजल की कमी से जूझ रहे कई सरकारी स्कूल

बेंगलूरु. प्रदेश के ज्यादातर सरकारी स्कूल आज भी खेल मैदान, शौचालय और पेयजल की कमी से जूझ रहे हैं। हालांकि, 6840 ऐसे स्कूल हैं जिन्हें बेहतर बनाया जा सकता है। लोक शिक्षण विभाग (डीपीआइ) ने इसके लिए सरकार से आवश्यक फंड जारी करने की अपील की है।

डीपीआइ ने शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए विभिन्न पैमानों पर सरकारी स्कूलों और उपलब्ध सुविधाओं की समीक्षा की। 1961 स्कूलों को डी ग्रेड और 4879 स्कूलों को सी ग्रेड मिला। 52.06 फीसदी यानी 25656 स्कूलों को बी ग्रेड मिला। 16789 स्कूल ही ए ग्रेड हासिल कर सकें।

पहली से पांचवी कक्षा के स्कूलों को आठ मानदंडों, छठी से आठवीं कक्षा के स्कूलों को 10 मानदंडों और उच्च विद्यालयों को 11 मानदंडों पर आंका गया।

मानदंडों में स्कूल की इमारत, कम्पाउंड वाल, शौचालय, पीने का पानीए, बिजली की उपलब्धता, खेल का मैदान, किचन गार्डन और पुस्तकालय शामिल हैं।

उच्च प्राथमिक स्कूल और उच्च विद्यालय भी सूचना प्रौद्योगिकी सुविधाओं, कंप्यूटर और विज्ञान प्रयोगशालाओं की उपलब्धता पर आंके गए।

रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर स्कूलों में प्लेग्राउंड और किचन गार्डन नहीं हैं। हजारों स्कूलों में पेयजल और पर्याप्त शौचलय की कमी चिंता का विषय है।

डीपीआइ के एक अधिकारी ने बताया कि समीक्षा का मकसद उन स्कूलों की पहचान करना था, जिन्हें सबसे ज्यादा फंड की जरूरत है। सी और डी ग्रेड पाने वालों स्कूलों को दुरुस्त करना प्राथमिकता है। ऐसे करीब 6840 स्कूल हैं। सरकार से फंड जारी करने की अपील की गई है।

अखिल भारतीय शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष बसवराज जी. ने कहा कि कोविड महामारी को देखते हुए सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूलों फिर से जब खुले तो बच्चों को पेयजल और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित नहीं रहना पड़े। शैक्षणिक वर्ष शुरू होने से पहले युद्धस्तर पर काम करने की जरूरत है।

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