सात वर्ष पूर्व चिकपेट में एक कपड़े की दुकान में आग लगने पर दमकल को मौके तक पहुंचने में दो घंटे का समय लग गया था। इसके बाद भी प्रशासन, पुलिस व बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने बाजार के पहुंच मार्ग को सुगम बनाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। सूरत में हुए हादसे के बाद पत्रिका ने बेंगलूरु के व्यस्ततम चिकपेट बाजार के व्यापारियों से चर्चा की।
चिकपेट इलाके में सात उप बाजार हैं। इनमें मामुलपेट, ओल्ड तरगुपेट, सुल्तानपेट, बलेपेट, चिकपेट, नगरथपेट, एवेन्यू रोड शामिल हैं। यहां एक भी ऐसा बाजार ऐसा नहीं है कि सुबह १० से शाम ७ बजे तक दुपहिया वाहन भी आसानी से गंतव्य तक पहुंच सके, चार पहिया वाहन तो दूर की बात है। बाजार की सडक़ें सुबह ७ बजे तक १५ या २० फीट चौड़ी नजर आती हैं वे सुबह दस बजे दुकानें खुलने के बार पूरी तरह गायब सी हो जाती हैं।
हर पल हादसे का खतरा
प्रेम कुमार मालू ने कहा कि यहां के बाजार भी बहुत भीड़ भाड़ वाले हैं। गलियां तंग हैं, मुख्य सडक़ों पर वाहनों का जाम है। पुलिस व प्रशासन तथा बीबीएमपी को हादसे का ही इंतजार है। कपड़ा मार्केट में ना तो सीसीटीवी हैं, न दमकल की व्यवस्था है। बिजली के तार झूलते रहते हैं। बेसकॉम को ये तार नजर नहीं आते। उप बाजारों में सडक़ों पर पड़े गड्ढे एम्बुलेंस व दमकल की राह में रोड़ा बनेंगे।
हर समय मौजूद हो छोटी फायर ब्रिगेड
ट्रेड एक्टिविस्ट सज्जनराज मेहता ने कहा कि चिकपेट में प्रवासियों की १५ हजार दुकानें हैं। जहां भी ऐसे व्यस्ततम बाजार हैं, वहां एक छोटी फायर ब्रिगेड और एक एम्बुलेंंस हर समय खड़ी रखी जाए। उन्होंने व्यापारियों को भी नसीहत दी कि वे अपने प्रतिष्ठानों में छोटे अग्निशमक उपकरण हर समय रखें, ताकि जरूरत पडऩे पर उसका इस्तेमाल कर दुर्घटना पर काबू पाया जा सके। ऐसे हादसे होने पर दमकल व एम्बुलेंस को पहले स्थान देने का प्रयास किया जाए, जिससे जनहानि को रोका जा सके। इसके लिए वे लगातार बीबीएमपी व सरकार से मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
समुचित पार्किंग जरूरी
खागा के पूर्व अध्यक्ष पहाड़सिंह राजपुरोहित ने कहा कि सात वर्ष पूर्व चिकपेट में ऐसा हादसा हो चुका है। उस समय भी दमकल को मौके पर पहुंचने में दो घंटे लग गए थे। इसके बावजूद सरकार ने चिकपेट इलाके में फायर ब्रिगेड व एम्बुलेंस की कोई व्यवस्था नहीं की है। चिकपेट में पार्किंग की गंभीर समस्या है। फुटपाथ पर दुकानों का सामान व फेरी व्यापारी छोटे व्यापारियों का कब्जा रहता है। सरकार को चिकपेट इलाके में वाहनों का जमावड़ा कम करने के लिए पार्किंग का निर्माण कराया जाना चाहिए।
फुटपाथ पर लगने वाली दुकानें अन्यत्र शिफ्ट हों
चिकपेट के ही श्याम सुन्दर बगडिय़ा ने कहा कि हादसों पर नियंत्रण के लिए फुटपाथ पर लगने वाली दुकानों को अलग से स्थान देकर विकसित किया जाना चाहिए, ताकि बाजार में जाम की स्थिति से निजात मिल सके। उन्होंने कहा कि जाम के चलते दुपहिया वाहन से दुकान तक पहुंचने में आधा घंटा लग जाता है तो चार पहिया दमकल व एम्बूलेंस को तो घटना स्थल पर पहुंचने में एक से दो घंटा लगना स्वाभाविक है। वहीं मुकनराज बोहरा ने कहा कि चिकपेट व मारवाडिय़ों के बाजारों में पार्किंग, फायर ब्रिगेड, एम्बुलेंस की व्यवस्था की जानी चाहिए।
फेरी व्यापारियों का अलग बाजार बने
रेडिमेड व्यवसायी अरविन्द सिंघी ने कहा कि फेरी वाले व्यापारियों के लिए अलग से मार्केट विकसित किया जाना चाहिए। चिकपेट व इससे जुड़े बाजारों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भीड़ भाड़ वाले अति व्यस्ततम बाजार में यातायात पुलिस के जवान व्यापारियों से अपराधियों जैसा व्यवहार करते हैं। इस पर तत्काल अंकुश लगना चाहिए। यातायात पुलिस के जवान व छोटे दर्जे के अधिकारी व्यापारियों के वाहनों से चाबी निकाल कर मानसिक तौर पर प्रताडि़त करने से बाज नहीं आते हैं।
ये होना चाहिए
अग्नि कांड जैसे हादसों पर रोक लगाने के लिए प्रथमदृष्टया व्यापारियों को अपने प्रतिष्ठान में अग्निशमक उपकरण रखने चाहिए।
दुकान व कार्यालय के सामने वाहनों का जमावड़ा नहीं लगने दें, जिससे जरूरत पडऩे पर हादसे से नुकसान को कम किया जा सके।
बिजली के ढीले तारों को दुरुस्त करवाएं, ताकि शार्ट सर्किट की स्थिति नहीं बने।
दुकान व संस्थान में बीड़ी-सिगरेट के उपयोग पर रोक रहे।
कचरे को एक निश्चित स्थान पर ही एकत्र किया जाए।