परियोजना कंपनी दिलीप बिल्डकॉन का कहना है कि अगर वन विभाग से आवश्यक स्वीकृति अगले महीने तक मिल जाती है तो वह अक्टूबर 2020 तक 117 किमी की पूरी सड़क का निर्माण कर देंगे। परियोजना को पूरा करने के लिए ढाई वर्ष की समय सीमा तय की गई है लेकिन कंपनी का कहना है कि वे मात्र दो वर्ष में इसे पूरा करने में सक्षम हैं।
भंवर में फंसी है 26 हेक्टेयर भूमि
भूमि अधिग्रहण में एक और पेंच 26 हेक्टेयर भूमि का है। यह भूमि नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर (नाइस) से संबंधित है लेकिन तीन महीने पूर्व ही कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस भूमि पर एनएचएआई के पक्ष में फैसला दे दिया। हालांकि ऐसी संभावना है कि यह मामला अब ऊपरी अदालत में चला जाए। वहीं इस भूमि पर कर्नाटक सरकार ने अपनी एक योजना के तहत गरीबों के लिए मकान बनाए हंै इसलिए अब इस भूमि का अधिग्रहण करने में बड़ी संख्या में लोगों को पुनर्वास करना होगा। परियोजना की राह में रेलवे का भी व्यवधान है। हालंाकि संबंधित मार्ग पर रेल लाइन के ऊपर चार ओवरब्रिज बनाने को लेकर रेलवे ने एनएचएआई को अपनी सहमति दे दी है।
30 हेक्टेयर के लिए चाहिए वन विभाग की मंजूरी
परियोजना के लिए अनुमानत: करीब 725 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता है। एनएचएआई द्वारा आवश्यक भूमि का लगभग 70 प्रतिशत अधिग्रहण किया जा चुका है अनिवार्य शर्त के तहत किसी भी परियोजना को शुरू होने से पहले 80 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण करना अनिवार्य है। शेष 10 फीसदी भूमि अधिग्रहण का मुद्दा महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि रामनगर और मंड्या के बीच वन विभाग की 30 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण चुनौतीपूर्ण बन गया है। एक ओर वन विभाग से प्रमाण पत्र लेना है, तो दूसरी ओर भूमि पर कई लोगों ने झोंपडिय़ां बना रखी हैं।