कभी-कभी कोई बात संभल जाने पर, कह देते हंै कि यह मेरे कारण हुआ। भूल जाते हैं कि हम तो सिर्फ निमित्त मात्र हैं। करने वाला तो ऊपर बैठा है, जिसके प्रभाव मात्र से यह सब कुछ होता है। भगवान के मंदिर, संघ आदि के ट्रस्टी और मैनेजमेंट ग्रुप के लोग समझते हैं कि भगवान को हम संभालते हैं, मंदिर आदि को हम संभालते हैं। यह सब मेरे कारण ही चल रहा है, यह मिथ्याभिमान ही तो है।
यदि ऐसा है तो मद, मान, घमंड के पर्वत पर हम आरुढ़ है, और वहां बैठकर, भयंकर कर्मो का बंध कर रहे हैं, जिनसे फिर छूटना अशक्य होता है। हम इस पद रह कर, प्रभु की, प्रभु के मंदिर की और प्रभु के भक्तों की सेवा के लिए आए हैं,यदि ऐसी सोच है तो ही पुण्योपार्जन तय है, कल्याण तय है, ऊध्र्वगति तय है। परम सत्य यही है कि भगवान हमें संभालते हैं, तभी हमने यह जीवन पाया है, और धर्म मार्ग के पथिक बने हैं।
समिति के कार्याध्यक्ष मानमल दरला ने बताया कि मैसूरु से श्रद्धालुओं ने साध्वीवृन्द के दर्शन और पयुर्षण पर्व की तैयारियों पर चर्चा की।