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एसटीपी स्थापित हो, झीलों में नहीं आए गंदा पानी, एनजीटी ने दी सितम्बर तक ही मोहलत

locationबैंगलोरPublished: Dec 12, 2019 06:01:05 pm

Submitted by:

Saurabh Tiwari

झीलों के प्रदूषण पर अंकुश लगाने में विफल ….

एसटीपी स्थापित हो, झीलों में नहीं आए गंदा पानी, एनजीटी ने दी सितम्बर तक ही मोहलत

एसटीपी स्थापित हो, झीलों में नहीं आए गंदा पानी, एनजीटी ने दी सितम्बर तक ही मोहलत

बेंगलूरु. बेंगलूरु शहर की बेलंदूर, वर्तूर व अगरा झीलों के प्रदूषण पर अंकुश लगाने में विफल रहने पर राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) ने मल जल शुद्धिकरण संयंत्र (एसटीपी) स्थापना की समय सीमा तय की है।
एनजीटी ने बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी), बेंगलूरु जल आपूर्ति एवं मल जल निस्तारण बोर्ड (बीडब्लूूएसएसबी) तथा कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व राज्य सरकार से कहा है कि बेंगलूरु के किसी भी जलाशय में मल जल समाहित नहीं हो। 30 सितम्बर 2020 तक इन तालाबों में एसटीपी से परिष्कृत होने के बाद ही मल जल समाहित हो।
पंचाट ने बुधवार को नई दिल्ली में नम्मा बेंगलूरु फाउंडेशन की शिकायत पर स्व संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए पंचाट की प्रधान पीठ ने बीबीएमपी, बीडब्लूएसएसबी तथा कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की खिंचाई की। वह इन जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कर्तव्य में लापरवाही बरतने के लिए आपराधिक केस दायर करने पर विचार कर रही है। अधिकारियों के आलस्यपूर्ण रवैये के कारण आम लोग पीडि़त नहीं होने चाहिए। पंचाट ने यहां तक पूछा कि इस मसले को हल करने के लिए अब तक अधिकारियों ने क्या किया। पीठ ने कहा कि लागत, संसाधनों की अनुपलब्धता व तकनीकी अचडऩों का हवाला देकर क्षमा मांगना न्यायसंगत नहीं है।
न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि बेंगलूरु में अनेक झील विशेषज्ञ हैं और आम लोग भी बहुत अच्छे हैं, लेकिन वहां की सरकार जल स्रोतों के संरक्षण में रुचि नहीं दिखा रही है। उन्होंने एसटीपी लगाने में विलंब पर नाराजगी जताई और इनके निर्माण के लिए दो और सालों का वक्त मांगने के लिए बीडब्लूएसएसबी के चेयरमैन तुषार गिरीनाथ की खिंचाई की और कहा कि विशेषज्ञों का कहना है कि यह कार्य 9 माह में पूरा किया जा सकता है। पंचाट ने राज्य सरकार से सितम्बर 2020 तक कार्य पूर्ण कर लेने को कहा है। नम्मा बेंगलूरु फाउंडेशन के महाप्रबंधक हरीश कुमार ने कहा कि हमारी मांग है कि किसी अधिकारी को जिम्मेदारी देकर काम हो ताकि जवाबदेही तय हो सके। किसी अधिकारी विशेष का उत्तरदायित्व तय किया जाना चाहिए, वरना हम समय सीमा के भीतर कोई पूरा नहीं कर पाएंगे।
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