scriptमीना टुमकुरु अध्यक्ष व कोमल उपाध्यक्ष मनोनीत | Meena Tumakuru nominated as President and Komal Vice President | Patrika News

मीना टुमकुरु अध्यक्ष व कोमल उपाध्यक्ष मनोनीत

locationबैंगलोरPublished: Dec 03, 2021 07:38:59 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

ऑल इंडिया भैरव दरबार का आयोजन

मीना टुमकुरु अध्यक्ष व कोमल उपाध्यक्ष मनोनीत

मीना टुमकुरु अध्यक्ष व कोमल उपाध्यक्ष मनोनीत

बेंगलूरु. ऑल इंडिया भैरव दरबार के तत्वावधान में गुरुवार को टुमकुरु शहर में सामूहिक पाश्र्वनाथ इकतीसा,भैरव चालीसा और मां सरस्वती पूजन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ऑल इंडिया भैरव दरबार की टुमकुरु इकाई का भी गठन किया गया। इसमें टुमकुरु अध्यक्ष पद पर मीना विक्रम जैन को मनोनीत किया गया। इस अवसर पर उपाध्यक्ष कोमल अमित जैन नियुक्त किया गया। ऑल इंडिया भैरव दरबार की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. जस्मिता अमित जैन ने संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश चौधरी एवं कर्नाटक राज्य महिला प्रचार प्रसार मंत्री डॉ. अंजली जैन का स्वागत करते हुए अभिनन्दन भी किया। भक्ति एवं चालीसा का आयोजन डॉ. जस्मिता अमीत की ओर से किया गया। इस अवसर पर सारिका जैन, पिंकी जैन, संगीता जैन, सुनीता जैन, कोमल जैन सहित अनेक भैरव भक्त उपस्थित थे।
परिवारों में आनंद का स्रोत बहता रहे-साध्वी डॉ.मंगलप्रज्ञा
मैसूरु. गुंडलपेट स्थित महावीर भवन में आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए साध्वी मंगलप्रज्ञा ने कहा कि यदि परिवार में आनंद का वातावरण रहता है तो सप्ताह के सभी वार सुखमय बन जाते हैं। परिवार एक वटवृक्ष की तरह होता है, जिस प्रकार वृक्ष की शाखा प्रशाखाएं आदि सभी मिलकर शक्तिशाली बन जाती हैं, ठीक वैसे ही संगठन का अपना महत्व होता है। वह परिवार सुदृढ़ बनता है जहां सभी के विचारों का सम्मान होता है और संवादहीनता की कलुषता नहीं रहती। आग्रह भाव परिवार की स्वस्थता का बाधक तत्व है। परिवार आदर से चलते हैं आग्रह परिवार की जड़ों को कमजोर बनाता है। परिवारों में पारस्परिक सौहार्द का व्यवहार गहराए इसलिए पक्षपात के शस्त्र को घर के दरवाजे में प्रवेश न करने दें। जहां अनेक सदस्य होते हैं वहां भूल होना स्वाभाविक है पर उस भूल को स्वीकार करने के लिए और सुधार के लिए हर वक्त तैयार रहें। सामंञ्जस्य का भाव निरन्तर पुष्ट होता है। सहयोग भाव बरकरार रहे और सहयोगी के प्रति कृतज्ञता की शैली का वहन करते रहे। सॉरी सॉरी और थैंक्यूं कहना माधुर्य जीवन व्यवहार के अमोधसूत्र हैं। एकल परिवार हो या संयुक्त परिवार यदि सभी सदस्य अपनी जिम्मेदारी का पालन करते हैं तो वहां परस्पर प्रेम का रंग गहराता चला जाएगा। आवश्यकता है हर दिन को आनंद और शांति के साथ जीएं। प्राक वक्तव्य में साध्वी शौर्यप्रभा ने परिवार के अल्फावेट की सुन्दर व्याख्या करते हुए कहा प्रेम एवं आदर भाव का विकास होता रहे। सद्गुणों को ग्रहण करें और अपनी इच्छाओं का शमन करें। साध्वी सुदर्शनप्रभा, साध्वी सिद्धियशा, साध्वी डॉ.राजुलप्रभा, साध्वी डॉ.चैतन्यप्रभा एवं साध्वी डॉ.शौर्यप्रभा ने आंगन-आंगन में खुशहाली हो गीत का संगान किया।
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